Manorama (Hindi Novel)

मनोरमा

Fiction & Literature, Psychological
Cover of the book Manorama (Hindi Novel) by Munshi Premchand, मुंशी प्रेमचन्द, Bhartiya Sahitya Inc.
View on Amazon View on AbeBooks View on Kobo View on B.Depository View on eBay View on Walmart
Author: Munshi Premchand, मुंशी प्रेमचन्द ISBN: 9781613011720
Publisher: Bhartiya Sahitya Inc. Publication: February 9, 2012
Imprint: Language: Hindi
Author: Munshi Premchand, मुंशी प्रेमचन्द
ISBN: 9781613011720
Publisher: Bhartiya Sahitya Inc.
Publication: February 9, 2012
Imprint:
Language: Hindi
प्रेमचंद भारत की नई राष्ट्रीय और जनवादी चेतना के प्रतिनिधि साहित्यकार थे। अपने युग और समाज का जो यथार्थ चित्रण उन्होंने किया, वह अद्वितीय है। जब उन्होंने लिखना शुरू किया था, तब संसार पर पहले महायुद्ध के बादल मंडरा रहे थे। जब मौत ने उनके हाथ से कलम छीन ली, तब दूसरे महायुद्ध की तैयारियां हो रही थीं। इस बीच विश्व-मानव-संस्कृति में बहुत से परिवर्तन हुए। इन परिवर्तनों से हिन्दुस्तान भी प्रभावित हुआ और उसने उन परिवर्तनों में सहायता भी की। विराट मानव-संस्कृति की धारा में भारतीय जन-संस्कृति की गंगा ने जो कुछ दिया, उसके प्रमाण प्रेमचंद के उपन्यास और उनकी सैकड़ों कहानियां हैं। ‘मनोरमा’ प्रेमचंद का सामाजिक उपन्यास है। रानी मनोरमा के माध्यम से प्रेमचंद ने उस समय की नारी व्यथा को इस उपन्यास में पिरोने का प्रयास किया है। चक्रधर का विवाह हो या निर्मला का वियोग इस उपन्यास की सभी घटनाएं तात्कालिक सामाजिक व्यवस्था की देन हैं।
View on Amazon View on AbeBooks View on Kobo View on B.Depository View on eBay View on Walmart
प्रेमचंद भारत की नई राष्ट्रीय और जनवादी चेतना के प्रतिनिधि साहित्यकार थे। अपने युग और समाज का जो यथार्थ चित्रण उन्होंने किया, वह अद्वितीय है। जब उन्होंने लिखना शुरू किया था, तब संसार पर पहले महायुद्ध के बादल मंडरा रहे थे। जब मौत ने उनके हाथ से कलम छीन ली, तब दूसरे महायुद्ध की तैयारियां हो रही थीं। इस बीच विश्व-मानव-संस्कृति में बहुत से परिवर्तन हुए। इन परिवर्तनों से हिन्दुस्तान भी प्रभावित हुआ और उसने उन परिवर्तनों में सहायता भी की। विराट मानव-संस्कृति की धारा में भारतीय जन-संस्कृति की गंगा ने जो कुछ दिया, उसके प्रमाण प्रेमचंद के उपन्यास और उनकी सैकड़ों कहानियां हैं। ‘मनोरमा’ प्रेमचंद का सामाजिक उपन्यास है। रानी मनोरमा के माध्यम से प्रेमचंद ने उस समय की नारी व्यथा को इस उपन्यास में पिरोने का प्रयास किया है। चक्रधर का विवाह हो या निर्मला का वियोग इस उपन्यास की सभी घटनाएं तात्कालिक सामाजिक व्यवस्था की देन हैं।

More books from Bhartiya Sahitya Inc.

Cover of the book Premchand Ki Kahaniyan-16 by Munshi Premchand, मुंशी प्रेमचन्द
Cover of the book Aaradhana (hindi poetry) by Munshi Premchand, मुंशी प्रेमचन्द
Cover of the book Sachcha Sukh (Hindi Self-help) by Munshi Premchand, मुंशी प्रेमचन्द
Cover of the book Antim Sandesh (Hindi Novel) by Munshi Premchand, मुंशी प्रेमचन्द
Cover of the book Premchand Ki Kahaniyan-46 by Munshi Premchand, मुंशी प्रेमचन्द
Cover of the book Sambhavami Yuge Yuge-1 (Hindi Novel) by Munshi Premchand, मुंशी प्रेमचन्द
Cover of the book Karmbhoomi (Hindi Novel) by Munshi Premchand, मुंशी प्रेमचन्द
Cover of the book Meri Kahaniyan-Vishnu Prabhakar (Hindi Stories) by Munshi Premchand, मुंशी प्रेमचन्द
Cover of the book Sangram (Hindi Drama) by Munshi Premchand, मुंशी प्रेमचन्द
Cover of the book Meri Kahaniyan-Khushwant Singh (Hindi Stories) by Munshi Premchand, मुंशी प्रेमचन्द
Cover of the book Vaapsi (Hindi Novel) by Munshi Premchand, मुंशी प्रेमचन्द
Cover of the book Premchand Ki Kahaniyan-43 by Munshi Premchand, मुंशी प्रेमचन्द
Cover of the book Premchand Ki Kahaniyan-24 by Munshi Premchand, मुंशी प्रेमचन्द
Cover of the book Aatmadan (Hindi Novel) by Munshi Premchand, मुंशी प्रेमचन्द
Cover of the book Prarabdh Aur Purusharth (Hindi Novel) by Munshi Premchand, मुंशी प्रेमचन्द
We use our own "cookies" and third party cookies to improve services and to see statistical information. By using this website, you agree to our Privacy Policy