Sunderkand (Hindi)

Nonfiction, Religion & Spirituality, Eastern Religions, Hinduism, Philosophy
Cover of the book Sunderkand (Hindi) by Tulsidas, Sai ePublications & Sai Shop
View on Amazon View on AbeBooks View on Kobo View on B.Depository View on eBay View on Walmart
Author: Tulsidas ISBN: 9781311626325
Publisher: Sai ePublications & Sai Shop Publication: January 6, 2015
Imprint: Smashwords Edition Language: Hindi
Author: Tulsidas
ISBN: 9781311626325
Publisher: Sai ePublications & Sai Shop
Publication: January 6, 2015
Imprint: Smashwords Edition
Language: Hindi

शान्तं शाश्वतमप्रमेयमनघं निर्वाणशान्तिप्रदं
ब्रह्माशंभुफणीन्द्रसेव्यमनिशं वेदांतवेद्यं विभुम्‌।
रामाख्यं जगदीश्वरं सुरगुरुं मायामनुष्यं हरिं
वन्देऽहं करुणाकरं रघुवरं भूपालचूडामणिम्‌॥ 1॥

शांत, सनातन, अप्रमेय (प्रमाणों से परे), निष्पाप, मोक्षरूप परमशांति देनेवाले, ब्रह्मा, शंभु और शेष से निरंतर सेवित, वेदांत के द्वारा जानने योग्य, सर्वव्यापक, देवताओं में सबसे बड़े, माया से मनुष्य रूप में दिखनेवाले, समस्त पापों को हरनेवाले, करुणा की खान, रघुकुल में श्रेष्ठ तथा राजाओं के शिरोमणि, राम कहलानेवाले जगदीश्वर की मैं वंदना करता हूँ॥ 1॥

नान्या स्पृहा रघुपते हृदयेऽस्मदीये
सत्यं वदामि च भवानखिलान्तरात्मा।
भक्तिं प्रयच्छ रघुपुंगव निर्भरां मे
कामादिदोषरहितं कुरु मानसं च॥ 2॥

हे रघुनाथ! मैं सत्य कहता हूँ और फिर आप सबके अंतरात्मा ही हैं (सब जानते ही हैं) कि मेरे हृदय में दूसरी कोई इच्छा नहीं है। हे रघुकुलश्रेष्ठ! मुझे अपनी निर्भरा (पूर्ण) भक्ति दीजिए और मेरे मन को काम आदि दोषों से रहित कीजिए॥ 2॥

अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहं
दनुजवनकृशानुं ज्ञानिनामग्रगण्यम्‌।
सकलगुणनिधानं वानराणामधीशं
रघुपतिप्रियभक्तं वातजातं नमामि॥ 3॥

अतुल बल के धाम, सोने के पर्वत (सुमेरु) के समान कांतियुक्त शरीरवाले, दैत्यरूपी वन (को ध्वंस करने) के लिए अग्नि रूप, ज्ञानियों में अग्रगण्य, संपूर्ण गुणों के निधान, वानरों के स्वामी, रघुनाथ के प्रिय भक्त पवनपुत्र हनुमान को मैं प्रणाम करता हूँ॥ 3॥

View on Amazon View on AbeBooks View on Kobo View on B.Depository View on eBay View on Walmart

शान्तं शाश्वतमप्रमेयमनघं निर्वाणशान्तिप्रदं
ब्रह्माशंभुफणीन्द्रसेव्यमनिशं वेदांतवेद्यं विभुम्‌।
रामाख्यं जगदीश्वरं सुरगुरुं मायामनुष्यं हरिं
वन्देऽहं करुणाकरं रघुवरं भूपालचूडामणिम्‌॥ 1॥

शांत, सनातन, अप्रमेय (प्रमाणों से परे), निष्पाप, मोक्षरूप परमशांति देनेवाले, ब्रह्मा, शंभु और शेष से निरंतर सेवित, वेदांत के द्वारा जानने योग्य, सर्वव्यापक, देवताओं में सबसे बड़े, माया से मनुष्य रूप में दिखनेवाले, समस्त पापों को हरनेवाले, करुणा की खान, रघुकुल में श्रेष्ठ तथा राजाओं के शिरोमणि, राम कहलानेवाले जगदीश्वर की मैं वंदना करता हूँ॥ 1॥

नान्या स्पृहा रघुपते हृदयेऽस्मदीये
सत्यं वदामि च भवानखिलान्तरात्मा।
भक्तिं प्रयच्छ रघुपुंगव निर्भरां मे
कामादिदोषरहितं कुरु मानसं च॥ 2॥

हे रघुनाथ! मैं सत्य कहता हूँ और फिर आप सबके अंतरात्मा ही हैं (सब जानते ही हैं) कि मेरे हृदय में दूसरी कोई इच्छा नहीं है। हे रघुकुलश्रेष्ठ! मुझे अपनी निर्भरा (पूर्ण) भक्ति दीजिए और मेरे मन को काम आदि दोषों से रहित कीजिए॥ 2॥

अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहं
दनुजवनकृशानुं ज्ञानिनामग्रगण्यम्‌।
सकलगुणनिधानं वानराणामधीशं
रघुपतिप्रियभक्तं वातजातं नमामि॥ 3॥

अतुल बल के धाम, सोने के पर्वत (सुमेरु) के समान कांतियुक्त शरीरवाले, दैत्यरूपी वन (को ध्वंस करने) के लिए अग्नि रूप, ज्ञानियों में अग्रगण्य, संपूर्ण गुणों के निधान, वानरों के स्वामी, रघुनाथ के प्रिय भक्त पवनपुत्र हनुमान को मैं प्रणाम करता हूँ॥ 3॥

More books from Sai ePublications & Sai Shop

Cover of the book Eidgah Aur Gulli Danda (Hindi) by Tulsidas
Cover of the book Prema (Hindi) by Tulsidas
Cover of the book The Crescent Moon by Tulsidas
Cover of the book Srishti (Hindi) by Tulsidas
Cover of the book Mansarovar - Part 5-8 (Hindi) by Tulsidas
Cover of the book Path Ke Davedar (Hindi) by Tulsidas
Cover of the book Vardan (Hindi) by Tulsidas
Cover of the book Aahuti (Hindi) by Tulsidas
Cover of the book Mansarovar - Part 1-4 (Hindi) by Tulsidas
Cover of the book Rangbhumi (Hindi) by Tulsidas
Cover of the book Alankar (Hindi) by Tulsidas
Cover of the book Holi Ka Uphar (Hindi) by Tulsidas
Cover of the book Srikanta (Hindi) by Tulsidas
Cover of the book Kankaal (Hindi) by Tulsidas
Cover of the book Prema (Hindi) by Tulsidas
We use our own "cookies" and third party cookies to improve services and to see statistical information. By using this website, you agree to our Privacy Policy