तरुणी हेमा और राजीव का आपसी प्रेम हेमा को समय से पहले गर्मवती बना देता है। राजीव के ठुकराने पर हेमा आत्म हत्या के लिए उद्दत होती है, पर कालेज प्रिंसिपल रवीन्द्रनाथ कुछ और ही सोच रहे हैं। रंगमंच के लिए प्रस्तुत इस नाटिका में दर्शकों को अंत तक बाँधे रहने की सहज क्षमता है।
तरुणी हेमा और राजीव का आपसी प्रेम हेमा को समय से पहले गर्मवती बना देता है। राजीव के ठुकराने पर हेमा आत्म हत्या के लिए उद्दत होती है, पर कालेज प्रिंसिपल रवीन्द्रनाथ कुछ और ही सोच रहे हैं। रंगमंच के लिए प्रस्तुत इस नाटिका में दर्शकों को अंत तक बाँधे रहने की सहज क्षमता है।