Premchand Ki Kahaniyan-27

प्रेमचन्द की कहानियाँ-27

Nonfiction, Reference & Language, Foreign Languages, Indic & South Asian Languages, Fiction & Literature, Short Stories
Cover of the book Premchand Ki Kahaniyan-27 by Munshi Premchand, मुंशी प्रेमचन्द, Bhartiya Sahitya Inc.
View on Amazon View on AbeBooks View on Kobo View on B.Depository View on eBay View on Walmart
Author: Munshi Premchand, मुंशी प्रेमचन्द ISBN: 9781613015254
Publisher: Bhartiya Sahitya Inc. Publication: January 1, 2014
Imprint: Language: Hindi
Author: Munshi Premchand, मुंशी प्रेमचन्द
ISBN: 9781613015254
Publisher: Bhartiya Sahitya Inc.
Publication: January 1, 2014
Imprint:
Language: Hindi
मुंशी प्रेमचन्द एक व्यक्ति तो थे ही, एक समाज भी थे, एक देश भी थे। व्यक्ति समाज और देश तीनों उनके हृदय में थे। उन्होंने बड़ी गहराई के साथ तीनों की समस्याओं का अध्ययन किया था। प्रेमचन्द हर व्यक्ति की, पूरे समाज की और देश की समस्याओं को सुलझाना चाहते थे, पर हिंसा से नहीं, विद्रोह से नहीं, अशक्ति से नहीं और अनेकता से भी नहीं। वे समस्या को सुलझाना चाहते थे प्रेम से, अहिंसा से, शान्ति से, सौहार्द से, एकता से और बन्धुता से। प्रेमचन्द आदर्श का झण्डा हाथ में लेकर प्रेम एकता, बन्धुता, सौहार्द और अहिंसा के प्रचार में जीवन पर्यन्त लगे रहे। उनकी रचनाओं में उनकी ये ही विशेषतायें तो है। प्रेमचन्द जनता के कथाकार थे उनकी कृतियों में समाज के सुख-दुःख, आशा-आकाँक्षा, उत्थान-पतन इत्यादि के सजीव चित्र हमारे हृदयों को झकझोरते हैं। वे भारत के प्रमुख कथाकार थे, जिनको पढ़े बिना भारत को समझना संभव नहीं। भारतीय साहित्य संग्रह ने उनकी 322 कहानियों को इस ‘प्रेमचन्द की कहानियां’ श्रृंखला के 46 भागों में सुधी पाठकों पाठकों को उपलब्ध कराने का प्रयास किया है। - प्रकाशक
View on Amazon View on AbeBooks View on Kobo View on B.Depository View on eBay View on Walmart
मुंशी प्रेमचन्द एक व्यक्ति तो थे ही, एक समाज भी थे, एक देश भी थे। व्यक्ति समाज और देश तीनों उनके हृदय में थे। उन्होंने बड़ी गहराई के साथ तीनों की समस्याओं का अध्ययन किया था। प्रेमचन्द हर व्यक्ति की, पूरे समाज की और देश की समस्याओं को सुलझाना चाहते थे, पर हिंसा से नहीं, विद्रोह से नहीं, अशक्ति से नहीं और अनेकता से भी नहीं। वे समस्या को सुलझाना चाहते थे प्रेम से, अहिंसा से, शान्ति से, सौहार्द से, एकता से और बन्धुता से। प्रेमचन्द आदर्श का झण्डा हाथ में लेकर प्रेम एकता, बन्धुता, सौहार्द और अहिंसा के प्रचार में जीवन पर्यन्त लगे रहे। उनकी रचनाओं में उनकी ये ही विशेषतायें तो है। प्रेमचन्द जनता के कथाकार थे उनकी कृतियों में समाज के सुख-दुःख, आशा-आकाँक्षा, उत्थान-पतन इत्यादि के सजीव चित्र हमारे हृदयों को झकझोरते हैं। वे भारत के प्रमुख कथाकार थे, जिनको पढ़े बिना भारत को समझना संभव नहीं। भारतीय साहित्य संग्रह ने उनकी 322 कहानियों को इस ‘प्रेमचन्द की कहानियां’ श्रृंखला के 46 भागों में सुधी पाठकों पाठकों को उपलब्ध कराने का प्रयास किया है। - प्रकाशक

More books from Bhartiya Sahitya Inc.

Cover of the book Bhagwan Mahavir Ki Vani (Hindi Wisdom Bites) by Munshi Premchand, मुंशी प्रेमचन्द
Cover of the book Pavhari Baba (Hindi biography) by Munshi Premchand, मुंशी प्रेमचन्द
Cover of the book Jalti Chattan (Hindi Novel) by Munshi Premchand, मुंशी प्रेमचन्द
Cover of the book Meri Kahaniyan-Mannu Bhandari by Munshi Premchand, मुंशी प्रेमचन्द
Cover of the book Manorama (Hindi Novel) by Munshi Premchand, मुंशी प्रेमचन्द
Cover of the book Chandrakanta Santati-5 by Munshi Premchand, मुंशी प्रेमचन्द
Cover of the book Asambhav Kranti (Hindi Rligious) by Munshi Premchand, मुंशी प्रेमचन्द
Cover of the book Chandrakanta Santati-1 by Munshi Premchand, मुंशी प्रेमचन्द
Cover of the book Bhaktiyog by Munshi Premchand, मुंशी प्रेमचन्द
Cover of the book Shaktidayi Vichar (Hindi Self-help) by Munshi Premchand, मुंशी प्रेमचन्द
Cover of the book Salakhon Main Khwab (Hindi Gazal) by Munshi Premchand, मुंशी प्रेमचन्द
Cover of the book Kamayani (Hindi Epic) by Munshi Premchand, मुंशी प्रेमचन्द
Cover of the book Haathi Ke Daant (Hindi Novel) by Munshi Premchand, मुंशी प्रेमचन्द
Cover of the book Prem Purnima(Hindi Stories) by Munshi Premchand, मुंशी प्रेमचन्द
Cover of the book Piya Ki Gali (Hindi Novel) by Munshi Premchand, मुंशी प्रेमचन्द
We use our own "cookies" and third party cookies to improve services and to see statistical information. By using this website, you agree to our Privacy Policy