हिन्दी साहित्य के शिखर रचनाकार श्रीलाल शुक्ल की कहानियों का यह संग्रह एक अप्रतिम लेखक के अपने सामाजिक यथार्थ पर अचूक पकड़ और उसे बयान करने की उसकी अद्भुत कला का साक्ष्य है। इसकी कहानियाँ हिन्दी कहानी की रुढ़ियों, फार्मूलों, रवायतों से दूर खड़ी हैं और रचना के संसार में नई निर्मितयाँ तैयार कर रही हैं। संग्रह की कहानियाँ तीक्ष्ण अन्वीक्षण क्षमता से सम्पवन्य होकर भारतीय समाज की गहन मीमांसा करती हैं। इनमें मौजूदा समयमें प्रकट हो रहे नये बदलावों की संवेदनात्मक आहटें हैं। यहाँ तक कि कई समसामयिक घटनाएँ, प्रवृत्तियाँ और रुझान भी दर्ज हैं। न केवल इतना, श्रीलाल शुक्ल ने सामाजिक संरचना में तेजी से उभर रहीं नई शक्तियों के प्रतिशोध और परिवर्तन को भी पहचान कर उसे प्रकट किया है।
हिन्दी साहित्य के शिखर रचनाकार श्रीलाल शुक्ल की कहानियों का यह संग्रह एक अप्रतिम लेखक के अपने सामाजिक यथार्थ पर अचूक पकड़ और उसे बयान करने की उसकी अद्भुत कला का साक्ष्य है। इसकी कहानियाँ हिन्दी कहानी की रुढ़ियों, फार्मूलों, रवायतों से दूर खड़ी हैं और रचना के संसार में नई निर्मितयाँ तैयार कर रही हैं। संग्रह की कहानियाँ तीक्ष्ण अन्वीक्षण क्षमता से सम्पवन्य होकर भारतीय समाज की गहन मीमांसा करती हैं। इनमें मौजूदा समयमें प्रकट हो रहे नये बदलावों की संवेदनात्मक आहटें हैं। यहाँ तक कि कई समसामयिक घटनाएँ, प्रवृत्तियाँ और रुझान भी दर्ज हैं। न केवल इतना, श्रीलाल शुक्ल ने सामाजिक संरचना में तेजी से उभर रहीं नई शक्तियों के प्रतिशोध और परिवर्तन को भी पहचान कर उसे प्रकट किया है।