इस पुस्तक में स्वामीजी के उन चुने हुए सद्वाक्यों एवं विचारों का संग्रह है, जो उन्होंने विभित्र विषयों पर प्रकट किये थे। ये विचार केवल किसी व्यक्ति के लिए ही लाभदायक नहीं, वरन्, समस्त राष्ट्र की उन्नति के लिए भी विशेष हितकर हैं। ये बड़े ही स्फूर्तिदायक, शक्तिशाली तथा यथार्थ मनुष्यत्व के निर्माण के निमित्त अद्वितीय पथप्रदर्शक हैं। उन लोगों के लिए, जो भारतवर्ष के आध्यात्मिक, राष्ट्रीय एवं सांस्कृतिक पुनरुत्थान के इच्छुक हैं, ये विचार विशेष लाभदायक होंगे।
इस पुस्तक में स्वामीजी के उन चुने हुए सद्वाक्यों एवं विचारों का संग्रह है, जो उन्होंने विभित्र विषयों पर प्रकट किये थे। ये विचार केवल किसी व्यक्ति के लिए ही लाभदायक नहीं, वरन्, समस्त राष्ट्र की उन्नति के लिए भी विशेष हितकर हैं। ये बड़े ही स्फूर्तिदायक, शक्तिशाली तथा यथार्थ मनुष्यत्व के निर्माण के निमित्त अद्वितीय पथप्रदर्शक हैं। उन लोगों के लिए, जो भारतवर्ष के आध्यात्मिक, राष्ट्रीय एवं सांस्कृतिक पुनरुत्थान के इच्छुक हैं, ये विचार विशेष लाभदायक होंगे।