मैं कातिल हूँ ....मेरी दादी का....

Main Katil hu Meri Dadi Ka

Mystery & Suspense, Espionage, Fiction & Literature, Thrillers
Cover of the book मैं कातिल हूँ ....मेरी दादी का.... by इंद्रजीत कुमार, Indrajeet Kumar, Book Bazooka
View on Amazon View on AbeBooks View on Kobo View on B.Depository View on eBay View on Walmart
Author: इंद्रजीत कुमार, Indrajeet Kumar ISBN: 1230002060057
Publisher: Book Bazooka Publication: December 22, 2017
Imprint: Book Bazooka Language: English
Author: इंद्रजीत कुमार, Indrajeet Kumar
ISBN: 1230002060057
Publisher: Book Bazooka
Publication: December 22, 2017
Imprint: Book Bazooka
Language: English

सावन की रात थी। हर तरफ से नम् मिट्टी की खुशबू से वातावरण खुशहाल हो गया था। झिंगुर अपन-अपने घरों से बाहर निकल सावन के महीने का आनंद उठा रहे थे। उन झिंगुर के नाचने-गाने से रात और भी हसीन लग रही थी। सामने एक ऊँचा दिवार था, उस दिवार के उस पार एक बड़ा-सा जेल था। बड़े-बड़े मुजरिमों का घर। हर रात की तरह सारे मुजरिम अपने सपनों में खुशियाँ तलाश रहे थे। दिन भर काम का बोझ उतार कर लेकिन एक कैदी बड़ा बेचैन हो रा था। ऐसा लग रहा था मानो नींद उसकी दुश्मन बन गई हो। शांति से चुप-चाप बैठा था एक कोने में जेल के अंदर। कैदी मन ही मन सोच रहा था कि, आज जाग लो कल से तो हमेशा के लिए सोना ही है .....खैर अब जो होगा होगा।
तभी एक आहट आई किसी के आने की...। एक पुलिस अफसर अपने कुछ काम से जेल की तरफ की तरफ आ रहा था।उसने बेंच पर पड़ी फाईल को उठाया और जाने लगा। अफसर ने चार कदम आगे बढ़ाया ही था कि उसकी नजर उस कैदी पर पड़ी। अफसर कैदी के पास गया जेल के दरवाजे को खोला और जाकर कैदी के बगल में बैठ गया।
"क्यों नींद नहीं आ रही है क्या?"अफसर ने पुछा।
"रोज तो आती थी साहब लेकिन पता नहीं आज क्या हो गया है शायद इसलिए भी नहीं आ रही कि इस दुनिया को आखिरी बार देखने का मौका दे रही हो।" कैदी ने कहा।
अफसर - "इस बंद जेल के कमरे में तुम दुनिया देखने की बात करते हो। अच्छा है।
कैदी - "साहब ये मन की गाड़ी से मैं दुनिया का कोई भी कोना देख सकता हूँ। मुझे कोई नहीं रोक पाएगा, आपका ये कानून भी नहीं।"

View on Amazon View on AbeBooks View on Kobo View on B.Depository View on eBay View on Walmart

सावन की रात थी। हर तरफ से नम् मिट्टी की खुशबू से वातावरण खुशहाल हो गया था। झिंगुर अपन-अपने घरों से बाहर निकल सावन के महीने का आनंद उठा रहे थे। उन झिंगुर के नाचने-गाने से रात और भी हसीन लग रही थी। सामने एक ऊँचा दिवार था, उस दिवार के उस पार एक बड़ा-सा जेल था। बड़े-बड़े मुजरिमों का घर। हर रात की तरह सारे मुजरिम अपने सपनों में खुशियाँ तलाश रहे थे। दिन भर काम का बोझ उतार कर लेकिन एक कैदी बड़ा बेचैन हो रा था। ऐसा लग रहा था मानो नींद उसकी दुश्मन बन गई हो। शांति से चुप-चाप बैठा था एक कोने में जेल के अंदर। कैदी मन ही मन सोच रहा था कि, आज जाग लो कल से तो हमेशा के लिए सोना ही है .....खैर अब जो होगा होगा।
तभी एक आहट आई किसी के आने की...। एक पुलिस अफसर अपने कुछ काम से जेल की तरफ की तरफ आ रहा था।उसने बेंच पर पड़ी फाईल को उठाया और जाने लगा। अफसर ने चार कदम आगे बढ़ाया ही था कि उसकी नजर उस कैदी पर पड़ी। अफसर कैदी के पास गया जेल के दरवाजे को खोला और जाकर कैदी के बगल में बैठ गया।
"क्यों नींद नहीं आ रही है क्या?"अफसर ने पुछा।
"रोज तो आती थी साहब लेकिन पता नहीं आज क्या हो गया है शायद इसलिए भी नहीं आ रही कि इस दुनिया को आखिरी बार देखने का मौका दे रही हो।" कैदी ने कहा।
अफसर - "इस बंद जेल के कमरे में तुम दुनिया देखने की बात करते हो। अच्छा है।
कैदी - "साहब ये मन की गाड़ी से मैं दुनिया का कोई भी कोना देख सकता हूँ। मुझे कोई नहीं रोक पाएगा, आपका ये कानून भी नहीं।"

More books from Book Bazooka

Cover of the book कुछ तुम कहो कुछ मैं कहूँ by इंद्रजीत कुमार, Indrajeet Kumar
Cover of the book कुछ रंग ज़िन्दगी के by इंद्रजीत कुमार, Indrajeet Kumar
Cover of the book अनकहे पहलू by इंद्रजीत कुमार, Indrajeet Kumar
Cover of the book Premanjali by इंद्रजीत कुमार, Indrajeet Kumar
Cover of the book दीपशिखा by इंद्रजीत कुमार, Indrajeet Kumar
Cover of the book प्रत्याशा एक पग पथ की ओर by इंद्रजीत कुमार, Indrajeet Kumar
Cover of the book अल्फ़ाज़-ए-मोहब्बत by इंद्रजीत कुमार, Indrajeet Kumar
Cover of the book जज्बात-ए-क़लम- एक खूबसूरत एहसास by इंद्रजीत कुमार, Indrajeet Kumar
Cover of the book अनुनाद by इंद्रजीत कुमार, Indrajeet Kumar
Cover of the book ILLI and GRANNY by इंद्रजीत कुमार, Indrajeet Kumar
Cover of the book Simantini by इंद्रजीत कुमार, Indrajeet Kumar
Cover of the book सावन मन का भी हरा है by इंद्रजीत कुमार, Indrajeet Kumar
Cover of the book Motivational and Self Regulated Learning of Creative Students by इंद्रजीत कुमार, Indrajeet Kumar
Cover of the book खलिश by इंद्रजीत कुमार, Indrajeet Kumar
Cover of the book यादों में तुम by इंद्रजीत कुमार, Indrajeet Kumar
We use our own "cookies" and third party cookies to improve services and to see statistical information. By using this website, you agree to our Privacy Policy