आज का मानव अत्यंत संत्रस्त जीवन जी रहा है अनेकानेक सुख-सुविधाओं के होते हुए भी मन में अनिष्ट के प्रति एक भय बना रहता है? जीवन की अधिकांश समस्याओं की जननी हमारी दुर्बुद्धि है। ऋषियों-मनीषियों की विचारधारा ही इनका समाधान प्रस्तुत करती है। इन उत्कृष्ट विचारों के सतत सान्निध्य में रहने हेतु स्वाध्याय एक कारगर उपाय है मन को संतुलित रखकर प्रसन्नता भरा जीवन जीने के व्यावहारिक सूत्रों को इस पुस्तक में सँजोया गया है। इस पुस्तक के स्वाध्याय से संतुलित सुखी एवं सफल जीवन का मार्गदर्शन मिलता रहेगा।
आज का मानव अत्यंत संत्रस्त जीवन जी रहा है अनेकानेक सुख-सुविधाओं के होते हुए भी मन में अनिष्ट के प्रति एक भय बना रहता है? जीवन की अधिकांश समस्याओं की जननी हमारी दुर्बुद्धि है। ऋषियों-मनीषियों की विचारधारा ही इनका समाधान प्रस्तुत करती है। इन उत्कृष्ट विचारों के सतत सान्निध्य में रहने हेतु स्वाध्याय एक कारगर उपाय है मन को संतुलित रखकर प्रसन्नता भरा जीवन जीने के व्यावहारिक सूत्रों को इस पुस्तक में सँजोया गया है। इस पुस्तक के स्वाध्याय से संतुलित सुखी एवं सफल जीवन का मार्गदर्शन मिलता रहेगा।