अमृतराय ने गद्य की लगभग सभी विधाओं में लिखा है, और उसी जानदार ढंग से जो कि उसका अपना, खास अपना, हस्ताक्षर है, जो सबसे अलग पहचाना जाता है। और वह शायद इसीलिए कि अमृत के लिखने में एक नितांत मौलिक व्यक्तित्व है, मर्मस्पर्शिता है, जो केवल उसकी भाषा या शैली की बात नहीं, उससे ज़्यादा गहरे उतर कर उसके संपूर्ण मानसलोक की संरचना की बात है, एक तरल पारदर्शिता जो उसके हर शब्द को एक नयी-सी घुलावट, जो बतलायी नहीं जा सकती, स्वयं रचना का आस्वादन करके ही अनुभव की जा सकती है।
अमृतराय ने गद्य की लगभग सभी विधाओं में लिखा है, और उसी जानदार ढंग से जो कि उसका अपना, खास अपना, हस्ताक्षर है, जो सबसे अलग पहचाना जाता है। और वह शायद इसीलिए कि अमृत के लिखने में एक नितांत मौलिक व्यक्तित्व है, मर्मस्पर्शिता है, जो केवल उसकी भाषा या शैली की बात नहीं, उससे ज़्यादा गहरे उतर कर उसके संपूर्ण मानसलोक की संरचना की बात है, एक तरल पारदर्शिता जो उसके हर शब्द को एक नयी-सी घुलावट, जो बतलायी नहीं जा सकती, स्वयं रचना का आस्वादन करके ही अनुभव की जा सकती है।