रांगेय राघव के कहानी-लेखन का मुख्य दौर भारतीय इतिहास की दृष्टि से बहुत हलचल-भरा, विरल कालखंड है। कम मौकों पर भारतीय जनता ने इतने स्वप्न-दुःस्वप्न, आशा-हताशा इस तरह अड़ोस-पड़ोस में खड़े देखे थेस्वतंत्रता आंदोलन, विश्वयुद्ध की सर्वव्यापी छाया, बंगाल का भीषण अकाल, भारत छोड़ो आंदोलन, भारत-पाक विभाजन, हिंदू-मुस्लिम दंगे, स्वतंत्र भारत में साँस लेने का सुख, साम्यवादी दलों पर पाबंदी, महात्मा गांधी की हत्या, कांग्रेस विभाजन, नेहरू युग की शुरुआत और जल्द ही नई व्यवस्था से आम जन के मोहभंग का प्रारंभ...। गौरतलब है कि उस समय की शायद ही कोई बड़ी घटना हो जिसकी गूँज-अनुगूँजे रांगेय राघव की कहानियों में सुनी और खरोंचें देखी, खुरंड टटोले न जा सकें।
रांगेय राघव के कहानी-लेखन का मुख्य दौर भारतीय इतिहास की दृष्टि से बहुत हलचल-भरा, विरल कालखंड है। कम मौकों पर भारतीय जनता ने इतने स्वप्न-दुःस्वप्न, आशा-हताशा इस तरह अड़ोस-पड़ोस में खड़े देखे थेस्वतंत्रता आंदोलन, विश्वयुद्ध की सर्वव्यापी छाया, बंगाल का भीषण अकाल, भारत छोड़ो आंदोलन, भारत-पाक विभाजन, हिंदू-मुस्लिम दंगे, स्वतंत्र भारत में साँस लेने का सुख, साम्यवादी दलों पर पाबंदी, महात्मा गांधी की हत्या, कांग्रेस विभाजन, नेहरू युग की शुरुआत और जल्द ही नई व्यवस्था से आम जन के मोहभंग का प्रारंभ...। गौरतलब है कि उस समय की शायद ही कोई बड़ी घटना हो जिसकी गूँज-अनुगूँजे रांगेय राघव की कहानियों में सुनी और खरोंचें देखी, खुरंड टटोले न जा सकें।