Main Naa Manu (Hindi Novel)

मैं न मानूँ

Nonfiction, Reference & Language, Foreign Languages, Indic & South Asian Languages, Fiction & Literature, Historical, Romance
Cover of the book Main Naa Manu (Hindi Novel) by Guru Dutt, गुरु दत्त, Bhartiya Sahitya Inc.
View on Amazon View on AbeBooks View on Kobo View on B.Depository View on eBay View on Walmart
Author: Guru Dutt, गुरु दत्त ISBN: 9781613010891
Publisher: Bhartiya Sahitya Inc. Publication: January 5, 2014
Imprint: Language: Hindi
Author: Guru Dutt, गुरु दत्त
ISBN: 9781613010891
Publisher: Bhartiya Sahitya Inc.
Publication: January 5, 2014
Imprint:
Language: Hindi
अभिमानी का सिर नीचा होता है, परन्तु इस संसार में ऐसे लोग भी हैं जो सिर नीचा होने पर भी, उसको नीचा नहीं मानते। ऐसे लोगों के लिए ही कहावत बनी है‘रस्सी जल गई, पर बल नहीं टूटे’। इसका कारण मनुष्य की आद्योपांत विवेक-शून्यता है। विवेक अपने चारों ओर घटने वाली घटनाओं के ठीक मूल्यांकन का नाम है। मन के विकार हैंकाम, क्रोध, लोभ, मोह तथा अहंकार। जब इन विकारों के कारण बुद्धि मलिन हो जाती है तो वह ठीक को गलत और गलत को ठीक समझने लगती है। इसको विवेक-शून्यता कहते हैं। मन के विकारों में अहंकार सबसे अन्तिम और सबसे अधिक बुद्धि भ्रष्ट करने वाला है। अहंकारवश मनुष्य ठोकर खाकर गिर पड़ता है, बुद्धि भ्रष्ट हो जाती है। बुद्धि भ्रष्ट हो जाने से वह नहीं मानता कि वह गिर पड़ा है अथवा उसका अभिमान व्यर्थ था। वह अपनी भूल स्वीकार नहीं करता और अन्त तक कहता रहता हैमैं न मानूँ, मैं न मानूँ
View on Amazon View on AbeBooks View on Kobo View on B.Depository View on eBay View on Walmart
अभिमानी का सिर नीचा होता है, परन्तु इस संसार में ऐसे लोग भी हैं जो सिर नीचा होने पर भी, उसको नीचा नहीं मानते। ऐसे लोगों के लिए ही कहावत बनी है‘रस्सी जल गई, पर बल नहीं टूटे’। इसका कारण मनुष्य की आद्योपांत विवेक-शून्यता है। विवेक अपने चारों ओर घटने वाली घटनाओं के ठीक मूल्यांकन का नाम है। मन के विकार हैंकाम, क्रोध, लोभ, मोह तथा अहंकार। जब इन विकारों के कारण बुद्धि मलिन हो जाती है तो वह ठीक को गलत और गलत को ठीक समझने लगती है। इसको विवेक-शून्यता कहते हैं। मन के विकारों में अहंकार सबसे अन्तिम और सबसे अधिक बुद्धि भ्रष्ट करने वाला है। अहंकारवश मनुष्य ठोकर खाकर गिर पड़ता है, बुद्धि भ्रष्ट हो जाती है। बुद्धि भ्रष्ट हो जाने से वह नहीं मानता कि वह गिर पड़ा है अथवा उसका अभिमान व्यर्थ था। वह अपनी भूल स्वीकार नहीं करता और अन्त तक कहता रहता हैमैं न मानूँ, मैं न मानूँ

More books from Bhartiya Sahitya Inc.

Cover of the book Premchand Ki Kahaniyan-08 by Guru Dutt, गुरु दत्त
Cover of the book Krodh (Hindi Religious) by Guru Dutt, गुरु दत्त
Cover of the book Premchand Ki Kahaniyan-18 by Guru Dutt, गुरु दत्त
Cover of the book Ghat Ka Patthar (Hindi Novel) by Guru Dutt, गुरु दत्त
Cover of the book Soj-e-vatan (Hindi Stories) by Guru Dutt, गुरु दत्त
Cover of the book Premchand Ki Kahaniyan-38 by Guru Dutt, गुरु दत्त
Cover of the book Meri Kahaniyan-Khushwant Singh (Hindi Stories) by Guru Dutt, गुरु दत्त
Cover of the book Premchand Ki Kahaniyan-14 by Guru Dutt, गुरु दत्त
Cover of the book Geetanjali (Hindi poetry) by Guru Dutt, गुरु दत्त
Cover of the book Harivanshrai Bachchan Ki Kavitayen by Guru Dutt, गुरु दत्त
Cover of the book Yuddh Aur Shanti-1 (Hindi Novel) by Guru Dutt, गुरु दत्त
Cover of the book Premchand Ki Kahaniyan-25 by Guru Dutt, गुरु दत्त
Cover of the book Vardaan (Hindi Novel) by Guru Dutt, गुरु दत्त
Cover of the book Waqt Ki Aawaj (Hindi Gazal) by Guru Dutt, गुरु दत्त
Cover of the book Premchand Ki Kahaniyan-40 by Guru Dutt, गुरु दत्त
We use our own "cookies" and third party cookies to improve services and to see statistical information. By using this website, you agree to our Privacy Policy