Gulp Samuchchaya (Hindi Stories)

गल्प समुच्चय

Nonfiction, Health & Well Being, Self Help, Self Improvement, Stress Management, Fiction & Literature
Cover of the book Gulp Samuchchaya (Hindi Stories) by Munshi Premchand, मुंशी प्रेमचन्द, Bhartiya Sahitya Inc.
View on Amazon View on AbeBooks View on Kobo View on B.Depository View on eBay View on Walmart
Author: Munshi Premchand, मुंशी प्रेमचन्द ISBN: 9781613011546
Publisher: Bhartiya Sahitya Inc. Publication: July 25, 2013
Imprint: Language: Hindi
Author: Munshi Premchand, मुंशी प्रेमचन्द
ISBN: 9781613011546
Publisher: Bhartiya Sahitya Inc.
Publication: July 25, 2013
Imprint:
Language: Hindi
आधुनिक गल्प लेखन-कला हिन्दी में अभी बाल्यावस्था में है; इसलिए इससे पाश्चात्य प्रौढ़ गल्पों की तुलना करना अन्याय होगा। फिर भी इस थोड़े-से काल में हिन्दी-गल्प-कला ने जो उन्नति की है, उस पर वह गर्व करें, तो अनुचित नहीं। हिन्दी में अभी टालस्टाय, चेकाफ, परे, डाडे, मोपाँसा का आविर्भाव नहीं हुआ है; पर बिरवा के चिकने पात देखकर कहा जा सकता है कि यह होनहार है। इस संग्रह में हमने चेष्टा की है कि रचनाओं की बानगी दे दी जाय। हम कहाँ तक सफल हुए हैं, इसका निर्णय पाठक और समालोचक-गण ही कर सकते हैं। हमें खेद है, कि इच्छा रहते हुए भी हम अन्य लेखकों की रचनाओं के लिए स्थान निकाल सके; पर इतना हम कह सकते हैं कि हमने जो सामग्री उपस्थित की है वह हिन्दी-गल्प-कला की वर्तमान परिस्थिति का परिचय देने के लिए काफी है। इसके साथ ही हमने मनोरंजकता और शिक्षा का भी ध्यान रखा है, विश्वास है, कि पाठक इस दृष्टि से भी इस संग्रह में कोई अभाव न पावेंगे।
View on Amazon View on AbeBooks View on Kobo View on B.Depository View on eBay View on Walmart
आधुनिक गल्प लेखन-कला हिन्दी में अभी बाल्यावस्था में है; इसलिए इससे पाश्चात्य प्रौढ़ गल्पों की तुलना करना अन्याय होगा। फिर भी इस थोड़े-से काल में हिन्दी-गल्प-कला ने जो उन्नति की है, उस पर वह गर्व करें, तो अनुचित नहीं। हिन्दी में अभी टालस्टाय, चेकाफ, परे, डाडे, मोपाँसा का आविर्भाव नहीं हुआ है; पर बिरवा के चिकने पात देखकर कहा जा सकता है कि यह होनहार है। इस संग्रह में हमने चेष्टा की है कि रचनाओं की बानगी दे दी जाय। हम कहाँ तक सफल हुए हैं, इसका निर्णय पाठक और समालोचक-गण ही कर सकते हैं। हमें खेद है, कि इच्छा रहते हुए भी हम अन्य लेखकों की रचनाओं के लिए स्थान निकाल सके; पर इतना हम कह सकते हैं कि हमने जो सामग्री उपस्थित की है वह हिन्दी-गल्प-कला की वर्तमान परिस्थिति का परिचय देने के लिए काफी है। इसके साथ ही हमने मनोरंजकता और शिक्षा का भी ध्यान रखा है, विश्वास है, कि पाठक इस दृष्टि से भी इस संग्रह में कोई अभाव न पावेंगे।

More books from Bhartiya Sahitya Inc.

Cover of the book Premchand Ki Kahaniyan-23 by Munshi Premchand, मुंशी प्रेमचन्द
Cover of the book Premchand Ki Kahaniyan-37 by Munshi Premchand, मुंशी प्रेमचन्द
Cover of the book Hindi Ki Adarsh Kahaniyan(Hindi Stories) by Munshi Premchand, मुंशी प्रेमचन्द
Cover of the book Premchand Ki Kahaniyan-09 by Munshi Premchand, मुंशी प्रेमचन्द
Cover of the book Aankh Ki Kirkirie (Hindi Novel) by Munshi Premchand, मुंशी प्रेमचन्द
Cover of the book Sambhavami Yuge Yuge-2 (Hindi Novel) by Munshi Premchand, मुंशी प्रेमचन्द
Cover of the book Premchand Ki Kahaniyan-10 by Munshi Premchand, मुंशी प्रेमचन्द
Cover of the book Kayakalp (Hindi Novel) by Munshi Premchand, मुंशी प्रेमचन्द
Cover of the book Bodh Kathayen (Hindi Wisdom Stories) by Munshi Premchand, मुंशी प्रेमचन्द
Cover of the book Avtaran (Hindi Novel) by Munshi Premchand, मुंशी प्रेमचन्द
Cover of the book Kanch Ki Chudiyan (Hindi Novel) by Munshi Premchand, मुंशी प्रेमचन्द
Cover of the book Rangbhoomi (Hindi Novel) by Munshi Premchand, मुंशी प्रेमचन्द
Cover of the book Premchand Ki Kahaniyan-18 by Munshi Premchand, मुंशी प्रेमचन्द
Cover of the book Krodh (Hindi Religious) by Munshi Premchand, मुंशी प्रेमचन्द
Cover of the book Sri Shankaracharya Ki Vani (Hindi Wisdom-bites) by Munshi Premchand, मुंशी प्रेमचन्द
We use our own "cookies" and third party cookies to improve services and to see statistical information. By using this website, you agree to our Privacy Policy