Bhaktiyog

भक्तियोग

Nonfiction, Religion & Spirituality, Eastern Religions, Hinduism
Cover of the book Bhaktiyog by Swami Vivekananda, स्वामी विवेकानन्द, Bhartiya Sahitya Inc.
View on Amazon View on AbeBooks View on Kobo View on B.Depository View on eBay View on Walmart
Author: Swami Vivekananda, स्वामी विवेकानन्द ISBN: 9781613013427
Publisher: Bhartiya Sahitya Inc. Publication: March 16, 2014
Imprint: Language: Hindi
Author: Swami Vivekananda, स्वामी विवेकानन्द
ISBN: 9781613013427
Publisher: Bhartiya Sahitya Inc.
Publication: March 16, 2014
Imprint:
Language: Hindi
जब प्रेम का यह उच्चतम आदर्श प्राप्त हो जाता है, तो ज्ञान फिर न जाने कहाँ चला जाता है। तब भला ज्ञान की इच्छा भी कौन करे? तब तो मुक्ति, उद्धार, निर्वाण की बातें न जाने कहाँ गायब हो जाती हैं। इस दैवी प्रेम में छके रहने से फिर भला कौन मुक्त होना चाहेगा? ''प्रभो! मुझे धन, जन, सौन्दर्य, विद्या, यहाँ तक कि मुक्ति भी नहीं चाहिए। बस इतनी ही साध है कि जन्म जन्म में तुम्हारे प्रति मेरी अहैतुकी भक्ति बनी रहे।'' भक्त कहता है, ''मैं शक्कर हो जाना नहीं चाहता, मुझे तो शक्कर खाना अच्छा लगता है।'' तब भला कौन मुक्त हो जाने की इच्छा करेगा? कौन भगवान के साथ एक हो जाने की कामना करेगा? भक्त कहता है, ''मैं जानता हूँ कि वे और मैं दोनों एक हैं, पर तो भी मैं उनसे अपने को अलग रखकर उन प्रियतम का सम्भोग करूँगा।'' प्रेम के लिए प्रेम - यही भक्त का सर्वोच्च सुख है।
View on Amazon View on AbeBooks View on Kobo View on B.Depository View on eBay View on Walmart
जब प्रेम का यह उच्चतम आदर्श प्राप्त हो जाता है, तो ज्ञान फिर न जाने कहाँ चला जाता है। तब भला ज्ञान की इच्छा भी कौन करे? तब तो मुक्ति, उद्धार, निर्वाण की बातें न जाने कहाँ गायब हो जाती हैं। इस दैवी प्रेम में छके रहने से फिर भला कौन मुक्त होना चाहेगा? ''प्रभो! मुझे धन, जन, सौन्दर्य, विद्या, यहाँ तक कि मुक्ति भी नहीं चाहिए। बस इतनी ही साध है कि जन्म जन्म में तुम्हारे प्रति मेरी अहैतुकी भक्ति बनी रहे।'' भक्त कहता है, ''मैं शक्कर हो जाना नहीं चाहता, मुझे तो शक्कर खाना अच्छा लगता है।'' तब भला कौन मुक्त हो जाने की इच्छा करेगा? कौन भगवान के साथ एक हो जाने की कामना करेगा? भक्त कहता है, ''मैं जानता हूँ कि वे और मैं दोनों एक हैं, पर तो भी मैं उनसे अपने को अलग रखकर उन प्रियतम का सम्भोग करूँगा।'' प्रेम के लिए प्रेम - यही भक्त का सर्वोच्च सुख है।

More books from Bhartiya Sahitya Inc.

Cover of the book Media Hu Mai(Hindi Journalism) by Swami Vivekananda, स्वामी विवेकानन्द
Cover of the book Premchand Ki Kahaniyan-41 by Swami Vivekananda, स्वामी विवेकानन्द
Cover of the book Sachcha Sukh (Hindi Self-help) by Swami Vivekananda, स्वामी विवेकानन्द
Cover of the book Begam Aur Gulaam (Hindi Novel) by Swami Vivekananda, स्वामी विवेकानन्द
Cover of the book Premchand Ki Kahaniyan-11 by Swami Vivekananda, स्वामी विवेकानन्द
Cover of the book Kalam, Talwar Aur Tyag-2 (Hindi Stories) by Swami Vivekananda, स्वामी विवेकानन्द
Cover of the book Sugreev Aur Vibhishan (Hindi Religious) by Swami Vivekananda, स्वामी विवेकानन्द
Cover of the book Parineeta(Hindi Novel) by Swami Vivekananda, स्वामी विवेकानन्द
Cover of the book Vyaktitwa ka Vikas (Hindi Self-help) by Swami Vivekananda, स्वामी विवेकानन्द
Cover of the book Aatmadan (Hindi Novel) by Swami Vivekananda, स्वामी विवेकानन्द
Cover of the book Gulp Samuchchaya (Hindi Stories) by Swami Vivekananda, स्वामी विवेकानन्द
Cover of the book Urvashi (Hindi Epic) by Swami Vivekananda, स्वामी विवेकानन्द
Cover of the book Isha Masih Ki Vani (Hindi Wisdom-bites) by Swami Vivekananda, स्वामी विवेकानन्द
Cover of the book Mai Sadak Hoon (Hindi Poetry) by Swami Vivekananda, स्वामी विवेकानन्द
Cover of the book Aatmatatwa (Hindi Self-help) by Swami Vivekananda, स्वामी विवेकानन्द
We use our own "cookies" and third party cookies to improve services and to see statistical information. By using this website, you agree to our Privacy Policy