मेरा दर्द न जाने कोय' से लेकर 'उजाले अपनी यादों के हमारे साथ रहने दो' तक जो दिलों पर नक्श है उसे अल्लाह ने लिखाया है। सच्ची शाइरी पढ़ते हुए कुछ याद आने लगता हे और झूठी शाइरी पढ़कर कुछ याद नहीं आता। और बहुत याद आया तो कोई दूसरा शाइर या दूसरा शे’र। मुशायरे पानी की क़ब्रें हैं। एक मख़लूक़ मुशायरे में पैदा होती है और मुशायरे ही में मर जाती है। रिसाले मिट्टी की कब्रें हैं। एक मख़लूक रिसाले ही में पैदा होती है और रिसाले ही में दफ़न हो जाती है।
मेरा दर्द न जाने कोय' से लेकर 'उजाले अपनी यादों के हमारे साथ रहने दो' तक जो दिलों पर नक्श है उसे अल्लाह ने लिखाया है। सच्ची शाइरी पढ़ते हुए कुछ याद आने लगता हे और झूठी शाइरी पढ़कर कुछ याद नहीं आता। और बहुत याद आया तो कोई दूसरा शाइर या दूसरा शे’र। मुशायरे पानी की क़ब्रें हैं। एक मख़लूक़ मुशायरे में पैदा होती है और मुशायरे ही में मर जाती है। रिसाले मिट्टी की कब्रें हैं। एक मख़लूक रिसाले ही में पैदा होती है और रिसाले ही में दफ़न हो जाती है।