Author: | Devki Nandan Khatri, देवकी नन्दन खत्री | ISBN: | 9781613010273 |
Publisher: | Bhartiya Sahitya Inc. | Publication: | April 20, 2012 |
Imprint: | Language: | Hindi |
Author: | Devki Nandan Khatri, देवकी नन्दन खत्री |
ISBN: | 9781613010273 |
Publisher: | Bhartiya Sahitya Inc. |
Publication: | April 20, 2012 |
Imprint: | |
Language: | Hindi |
पाठक समझते होंगे कि ऐसे समय में इन लोगों के आ पहुँचने और जान बचाने से किशोरी खुश हुई होगी और इन्द्रजीत से मिलने की कुछ उम्मीद भी उसे हो गई होगी मगर नहीं, अपने बचाने वाले को देखते ही किशोरी चिल्ला उठी और उसके दिल का दर्द पहले से भी ज़्यादे बढ़ गया। किशोरी ने आसमान की तरफ़ देखकर कहा, ‘‘मुझे तो विश्वास हो गया था कि इस चिता में जल कर ठण्ढे-ठण्ढे बैकुँठ चलीजाऊँगी। क्योंकि इसकी आँच कुँअर इन्द्रजीतसिंह की जुदाई की आँच से ज़्यादा गर्म न होगी, मगर हाय, इस बात का गुमान भी न था कि दुष्ट आ पहुँचेगा और मैं सचमुच की तपती हुई भट्ठी में झोंक दी जाऊँगी। ऐ मौत तू कहाँ है? तू कोई वस्तु है भी या नहीं, मुझे तो इसी में शक है!’’
पाठक समझते होंगे कि ऐसे समय में इन लोगों के आ पहुँचने और जान बचाने से किशोरी खुश हुई होगी और इन्द्रजीत से मिलने की कुछ उम्मीद भी उसे हो गई होगी मगर नहीं, अपने बचाने वाले को देखते ही किशोरी चिल्ला उठी और उसके दिल का दर्द पहले से भी ज़्यादे बढ़ गया। किशोरी ने आसमान की तरफ़ देखकर कहा, ‘‘मुझे तो विश्वास हो गया था कि इस चिता में जल कर ठण्ढे-ठण्ढे बैकुँठ चलीजाऊँगी। क्योंकि इसकी आँच कुँअर इन्द्रजीतसिंह की जुदाई की आँच से ज़्यादा गर्म न होगी, मगर हाय, इस बात का गुमान भी न था कि दुष्ट आ पहुँचेगा और मैं सचमुच की तपती हुई भट्ठी में झोंक दी जाऊँगी। ऐ मौत तू कहाँ है? तू कोई वस्तु है भी या नहीं, मुझे तो इसी में शक है!’’