सोचो कि तुम्हारे हृदय में एक आकाश है, और उस आकाश के अन्दर अग्निशिखा के समान एक ज्योति उद्भासित हो रही है - उस ज्योतिशिखा का अपनी आत्मा के रूप में चिन्तन करो; फिर उस ज्योति के अन्दर और एक ज्योतिर्मय आकाश की भावना करो; वही तुम्हारी आत्मा की आत्मा है - परमात्मस्वरूप ईश्वर है। हृदय में उसका ध्यान करो। - स्वामी विवेकानन्द
सोचो कि तुम्हारे हृदय में एक आकाश है, और उस आकाश के अन्दर अग्निशिखा के समान एक ज्योति उद्भासित हो रही है - उस ज्योतिशिखा का अपनी आत्मा के रूप में चिन्तन करो; फिर उस ज्योति के अन्दर और एक ज्योतिर्मय आकाश की भावना करो; वही तुम्हारी आत्मा की आत्मा है - परमात्मस्वरूप ईश्वर है। हृदय में उसका ध्यान करो। - स्वामी विवेकानन्द