सुभद्रा कुमारी चौहान का जन्म प्रयाग में ठाकुर रामनाथ सिंह के घर हुआ। शिक्षा भी प्रयाग में ही हुई। सुभद्रा कुमारी बाल्यावस्था से ही देश-भक्ति की भावना से प्रभावित थीं। इन्होंने असहयोग आंदोलन में भाग लिया। विवाह के पश्चात भी राजनीति में सक्रिय भाग लेती रहीं। दुर्भाग्यवश मात्र 43 वर्ष की अवस्था में एक दुर्घटना में इनकी मृत्यु हो गई। इनकी रचनाएँ हैं- मुकुल (कविता-संग्रह), बिखरे मोती (कहानी संग्रह), सीधे-सादे चित्र और चित्रारा, झाँसी की रानी इनकी बहुचर्चित रचना है। इन्हें 'मुकुल तथा 'बिखरे मोती पर अलग-अलग सेकसरिया पुरस्कार मिले।
सुभद्रा कुमारी चौहान का जन्म प्रयाग में ठाकुर रामनाथ सिंह के घर हुआ। शिक्षा भी प्रयाग में ही हुई। सुभद्रा कुमारी बाल्यावस्था से ही देश-भक्ति की भावना से प्रभावित थीं। इन्होंने असहयोग आंदोलन में भाग लिया। विवाह के पश्चात भी राजनीति में सक्रिय भाग लेती रहीं। दुर्भाग्यवश मात्र 43 वर्ष की अवस्था में एक दुर्घटना में इनकी मृत्यु हो गई। इनकी रचनाएँ हैं- मुकुल (कविता-संग्रह), बिखरे मोती (कहानी संग्रह), सीधे-सादे चित्र और चित्रारा, झाँसी की रानी इनकी बहुचर्चित रचना है। इन्हें 'मुकुल तथा 'बिखरे मोती पर अलग-अलग सेकसरिया पुरस्कार मिले।