Sumati (Hindi Novel)

सुमति

Nonfiction, Reference & Language, Foreign Languages, Indic & South Asian Languages, Fiction & Literature, Historical, Romance
Cover of the book Sumati (Hindi Novel) by Guru Dutt, गुरु दत्त, Bhartiya Sahitya Inc.
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Author: Guru Dutt, गुरु दत्त ISBN: 9781613011331
Publisher: Bhartiya Sahitya Inc. Publication: February 10, 2014
Imprint: Language: Hindi
Author: Guru Dutt, गुरु दत्त
ISBN: 9781613011331
Publisher: Bhartiya Sahitya Inc.
Publication: February 10, 2014
Imprint:
Language: Hindi
बुद्धि ऐसा यंत्र है जो मनुष्य को उन समस्याओं को सुलझाने के लिए मिला है, जिनमें प्रमाण और अनुभव नहीं होता। परन्तु सब यंत्रों की भाँति इसकी सफाई, इसको तेल देना तथा इसकी मरम्मत होती रहनी चाहिए। सफाई के लिए तो यम और नियमों का विधान है और तेल देने तथा मरम्मत करने के लिए सत्संग् तथा सत्-साहित्य सहायक होते हैं। इन दोनों को प्राप्त करने का माध्यम शिक्षा है। माध्यम स्वं कुछ नहीं करता। जैसे बिजली का तार तो कुछ नहीं, यद्यपि यह महान् शक्ति के लिए मार्ग प्रस्तुत करता है। इसमें पॉज़िटिव विद्युत का प्रवाह भी हो सकता है और नेगेटिव का भी। दोनों शक्ति के रूप में हैं। परन्तु इससे जो मशीनें चलती हैं उनकी दिशा का निश्चय होता है। इसी प्रकार शिक्षा के माध्यम से सत्संग और सत्-साहित्य भी प्राप्त हो सकता है और कुसंग तथा कुसाहित्य भी। सत्संग और सत्-साहित्य से सुमति प्राप्त होती है और कुसंग तथा कुत्सित साहित्य से दुर्मति। इस पुस्तक का यही विषय है। शिक्षा के माध्यम से सत्संग तथा सत्साहित्य कार्य करते हैं। इससे सुमति प्राप्त होती है। तब पुरुषार्थ सौभाग्य का सहायक हो जाता है।
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बुद्धि ऐसा यंत्र है जो मनुष्य को उन समस्याओं को सुलझाने के लिए मिला है, जिनमें प्रमाण और अनुभव नहीं होता। परन्तु सब यंत्रों की भाँति इसकी सफाई, इसको तेल देना तथा इसकी मरम्मत होती रहनी चाहिए। सफाई के लिए तो यम और नियमों का विधान है और तेल देने तथा मरम्मत करने के लिए सत्संग् तथा सत्-साहित्य सहायक होते हैं। इन दोनों को प्राप्त करने का माध्यम शिक्षा है। माध्यम स्वं कुछ नहीं करता। जैसे बिजली का तार तो कुछ नहीं, यद्यपि यह महान् शक्ति के लिए मार्ग प्रस्तुत करता है। इसमें पॉज़िटिव विद्युत का प्रवाह भी हो सकता है और नेगेटिव का भी। दोनों शक्ति के रूप में हैं। परन्तु इससे जो मशीनें चलती हैं उनकी दिशा का निश्चय होता है। इसी प्रकार शिक्षा के माध्यम से सत्संग और सत्-साहित्य भी प्राप्त हो सकता है और कुसंग तथा कुसाहित्य भी। सत्संग और सत्-साहित्य से सुमति प्राप्त होती है और कुसंग तथा कुत्सित साहित्य से दुर्मति। इस पुस्तक का यही विषय है। शिक्षा के माध्यम से सत्संग तथा सत्साहित्य कार्य करते हैं। इससे सुमति प्राप्त होती है। तब पुरुषार्थ सौभाग्य का सहायक हो जाता है।

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