Author: | Dr. Ramesh Pokhriyal ‘Nishank’ | ISBN: | 9788128834370 |
Publisher: | Diamond Pocket Books Pvt ltd. | Publication: | October 12, 2016 |
Imprint: | Language: | Hindi |
Author: | Dr. Ramesh Pokhriyal ‘Nishank’ |
ISBN: | 9788128834370 |
Publisher: | Diamond Pocket Books Pvt ltd. |
Publication: | October 12, 2016 |
Imprint: | |
Language: | Hindi |
इस पुस्तक में मैंने उद्यमियों के बहुत ज्यादा उदाहरण दिये हैं, इसका अर्थ यह नहीं है कि आप केवल उद्योगपति बनें, अपितु यह है कि उनकी सफलता से सीखें। वास्तव में हर क्षेत्र, चाहे वह सरकारी या निजी क्षेत्र में नौकरी हो, राजनीति हो या उद्यमों की दुनिया-हर जगह सफलता प्राप्त करने के लिये लगभग एक जैसे नियम हैं, परंतु व्यापार में सफलता पाना अधिक कठिन है।
मैंने अब तक जो भी जीवन से सीखा है, उसे सहजता और सरलता से इस पुस्तक में आपके सामने प्रस्तुत करने की चेष्टा की है। हो सकता है कि इस पुस्तक में दिये गये सफलता के मंत्रें से आपको भी लाभ हो और आप अपनी जीवनधारा को एक नयी दिशा दे सकें।
सफलता और असफलता एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। जब भी कोई व्यक्ति कुछ काम करता है, तो उसका इन दो पहलुओं में से किसी एक से सामना होता ही है। महत्त्वपूर्ण बात यह है कि सफलता एवं असफलता का पता काम पूरा होने के बाद ही चल पाता है। अगर काम शुरू करने से पहले ही असफलता का डर दिल में पाल लिया जाए, तो असफल होने की पूरी-पूरी संभावना बन जाती है।
इस पुस्तक में मैंने उद्यमियों के बहुत ज्यादा उदाहरण दिये हैं, इसका अर्थ यह नहीं है कि आप केवल उद्योगपति बनें, अपितु यह है कि उनकी सफलता से सीखें। वास्तव में हर क्षेत्र, चाहे वह सरकारी या निजी क्षेत्र में नौकरी हो, राजनीति हो या उद्यमों की दुनिया-हर जगह सफलता प्राप्त करने के लिये लगभग एक जैसे नियम हैं, परंतु व्यापार में सफलता पाना अधिक कठिन है।
मैंने अब तक जो भी जीवन से सीखा है, उसे सहजता और सरलता से इस पुस्तक में आपके सामने प्रस्तुत करने की चेष्टा की है। हो सकता है कि इस पुस्तक में दिये गये सफलता के मंत्रें से आपको भी लाभ हो और आप अपनी जीवनधारा को एक नयी दिशा दे सकें।
सफलता और असफलता एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। जब भी कोई व्यक्ति कुछ काम करता है, तो उसका इन दो पहलुओं में से किसी एक से सामना होता ही है। महत्त्वपूर्ण बात यह है कि सफलता एवं असफलता का पता काम पूरा होने के बाद ही चल पाता है। अगर काम शुरू करने से पहले ही असफलता का डर दिल में पाल लिया जाए, तो असफल होने की पूरी-पूरी संभावना बन जाती है।