Mansarovar - Part 5-8 (Hindi)

Fiction & Literature, Short Stories, Literary
Cover of the book Mansarovar - Part 5-8 (Hindi) by Premchand, Sai ePublications & Sai Shop
View on Amazon View on AbeBooks View on Kobo View on B.Depository View on eBay View on Walmart
Author: Premchand ISBN: 9781329908468
Publisher: Sai ePublications & Sai Shop Publication: December 1, 2016
Imprint: Sai ePublications & Sai Shop Language: English
Author: Premchand
ISBN: 9781329908468
Publisher: Sai ePublications & Sai Shop
Publication: December 1, 2016
Imprint: Sai ePublications & Sai Shop
Language: English

मानसरोवर - भाग 5मंदिर निमंत्रण रामलीला कामना तरु हिंसा परम धर्म बहिष्कार चोरी लांछन सती कजाकी आसुँओं की होली अग्नि-समाधि सुजान भगत पिसनहारी का कुआँ सोहाग का शव आत्म-संगीत एक्ट्रेस ईश्वरीय न्याय ममता मंत्र प्रायश्चित कप्तान साहब इस्तीफा मानसरोवर - भाग 6यह मेरी मातृभूमि है राजा हरदौल त्यागी का प्रेम रानी सारन्धा शाप मर्यादा की वेदी मृत्यु के पीछे पाप का अग्निकुंड आभूषण जुगनू की चमक गृह-दाह धोखा लाग-डाट अमावस्या की रात्रि चकमा पछतावा आप-बीती राज्य-भक्त अधिकार-चिन्ता दुराशा (प्रहसन)मानसरोवर - भाग 7जेल पत्नी से पति शराब की दुकान जुलूस मैकू समर-यात्रा शान्ति बैंक का दिवाला आत्माराम दुर्गा का मन्दिर बड़े घर की बेटी पंच-परमेश्वर शंखनाद जिहाद फातिहा वैर का अंत दो भाई महातीर्थ विस्मृति प्रारब्ध सुहाग की साड़ी लोकमत का सम्मान नाग-पूजामानसरोवर - भाग 8खून सफेद गरीब की हाय बेटी का धन धर्मसंकट सेवा-मार्ग शिकारी राजकुमार बलिदान बोध सच्चाई का उपहार ज्वालामुखी पशु से मनुष्य मूठ ब्रह्म का स्वांग विमाता बूढ़ी काकी हार की जीत दफ्तरी विध्वंस स्वत्व-रक्षा पूर्व-संस्कार दुस्साहस बौड़म गुप्तधन आदर्श विरोध विषम समस्या अनिष्ट शंका सौत सज्जनता का दंड नमक का दारोगा उपदेश परीक्षा---------------------------------मातृ-प्रेम, तुझे धान्य है ! संसार में और जो कुछ है, मिथ्या है, निस्सार है। मातृ-प्रेम ही सत्य है, अक्षय है, अनश्वर है। तीन दिन से सुखिया के मुँह में न अन्न का एक दाना गया था, न पानी की एक बूँद। सामने पुआल पर माता का नन्हा-सा लाल पड़ा कराह रहा था। आज तीन दिन से उसने आँखें न खोली थीं। कभी उसे गोद में उठा लेती, कभी पुआल पर सुला देती। हँसते-खेलते बालक को अचानक क्या हो गया, यह कोई नहीं बताता। ऐसी दशा में माता को भूख और प्यास कहाँ ? एक बार पानी का एक घूँट मुँह में लिया था; पर कंठ के नीचे न ले जा सकी। इस दुखिया की विपत्ति का वारपार न था। साल भर के भीतर दो बालक गंगा जी की गोद में सौंप चुकी थी। पतिदेव पहले ही सिधार चुके थे। अब उस अभागिनी के जीवन का आधार, अवलम्ब, जो कुछ था, यही बालक था। हाय !

View on Amazon View on AbeBooks View on Kobo View on B.Depository View on eBay View on Walmart

मानसरोवर - भाग 5मंदिर निमंत्रण रामलीला कामना तरु हिंसा परम धर्म बहिष्कार चोरी लांछन सती कजाकी आसुँओं की होली अग्नि-समाधि सुजान भगत पिसनहारी का कुआँ सोहाग का शव आत्म-संगीत एक्ट्रेस ईश्वरीय न्याय ममता मंत्र प्रायश्चित कप्तान साहब इस्तीफा मानसरोवर - भाग 6यह मेरी मातृभूमि है राजा हरदौल त्यागी का प्रेम रानी सारन्धा शाप मर्यादा की वेदी मृत्यु के पीछे पाप का अग्निकुंड आभूषण जुगनू की चमक गृह-दाह धोखा लाग-डाट अमावस्या की रात्रि चकमा पछतावा आप-बीती राज्य-भक्त अधिकार-चिन्ता दुराशा (प्रहसन)मानसरोवर - भाग 7जेल पत्नी से पति शराब की दुकान जुलूस मैकू समर-यात्रा शान्ति बैंक का दिवाला आत्माराम दुर्गा का मन्दिर बड़े घर की बेटी पंच-परमेश्वर शंखनाद जिहाद फातिहा वैर का अंत दो भाई महातीर्थ विस्मृति प्रारब्ध सुहाग की साड़ी लोकमत का सम्मान नाग-पूजामानसरोवर - भाग 8खून सफेद गरीब की हाय बेटी का धन धर्मसंकट सेवा-मार्ग शिकारी राजकुमार बलिदान बोध सच्चाई का उपहार ज्वालामुखी पशु से मनुष्य मूठ ब्रह्म का स्वांग विमाता बूढ़ी काकी हार की जीत दफ्तरी विध्वंस स्वत्व-रक्षा पूर्व-संस्कार दुस्साहस बौड़म गुप्तधन आदर्श विरोध विषम समस्या अनिष्ट शंका सौत सज्जनता का दंड नमक का दारोगा उपदेश परीक्षा---------------------------------मातृ-प्रेम, तुझे धान्य है ! संसार में और जो कुछ है, मिथ्या है, निस्सार है। मातृ-प्रेम ही सत्य है, अक्षय है, अनश्वर है। तीन दिन से सुखिया के मुँह में न अन्न का एक दाना गया था, न पानी की एक बूँद। सामने पुआल पर माता का नन्हा-सा लाल पड़ा कराह रहा था। आज तीन दिन से उसने आँखें न खोली थीं। कभी उसे गोद में उठा लेती, कभी पुआल पर सुला देती। हँसते-खेलते बालक को अचानक क्या हो गया, यह कोई नहीं बताता। ऐसी दशा में माता को भूख और प्यास कहाँ ? एक बार पानी का एक घूँट मुँह में लिया था; पर कंठ के नीचे न ले जा सकी। इस दुखिया की विपत्ति का वारपार न था। साल भर के भीतर दो बालक गंगा जी की गोद में सौंप चुकी थी। पतिदेव पहले ही सिधार चुके थे। अब उस अभागिनी के जीवन का आधार, अवलम्ब, जो कुछ था, यही बालक था। हाय !

More books from Sai ePublications & Sai Shop

Cover of the book The Coast of Chance by Premchand
Cover of the book Mansarovar - Part 2 (Hindi) by Premchand
Cover of the book Mansarovar - Part 3 (Hindi) by Premchand
Cover of the book Sunderkand (Hindi) by Premchand
Cover of the book Kafan (Hindi) by Premchand
Cover of the book Ramcharitmanas (Hindi) by Premchand
Cover of the book Eidgah Aur Gulli Danda (Hindi) by Premchand
Cover of the book Alankar (Hindi) by Premchand
Cover of the book Doodh ka Daam Aur Do Bailon ki Katha (Hindi) by Premchand
Cover of the book Holi Ka Uphar (Hindi) by Premchand
Cover of the book Prema (Hindi) by Premchand
Cover of the book Mansarovar - Part 8 (Hindi) by Premchand
Cover of the book Prema (Hindi) by Premchand
Cover of the book Rangbhumi (Hindi) by Premchand
Cover of the book Vardan (Hindi) by Premchand
We use our own "cookies" and third party cookies to improve services and to see statistical information. By using this website, you agree to our Privacy Policy