Lobh, Daan Va Dayaa (Hindi Rligious)

लोभ, दान व दया

Nonfiction, Reference & Language, Foreign Languages, Indic & South Asian Languages, Religion & Spirituality, Eastern Religions, Hinduism, Health & Well Being, Self Help, Self Improvement
Cover of the book Lobh, Daan Va Dayaa (Hindi Rligious) by Shri Ram Kinkar Ji, श्री रामकिंकर जी, Bhartiya Sahitya Inc.
View on Amazon View on AbeBooks View on Kobo View on B.Depository View on eBay View on Walmart
Author: Shri Ram Kinkar Ji, श्री रामकिंकर जी ISBN: 9781613014424
Publisher: Bhartiya Sahitya Inc. Publication: June 10, 2014
Imprint: Language: Hindi
Author: Shri Ram Kinkar Ji, श्री रामकिंकर जी
ISBN: 9781613014424
Publisher: Bhartiya Sahitya Inc.
Publication: June 10, 2014
Imprint:
Language: Hindi
प्रत्येक व्यक्ति स्वयं अपने आपमें ही संघर्षरत है एक ओर यह दशेन्द्रियों में भोगासक्त होकर निरंतर विषयों का सुखानुभव कर रहा है। यही भोगासक्ति मूल रूप से परोत्पीड़न वृत्ति की जन्मदात्री है। दूसरी ओर जीव सच्चिदानंद ईश्वर का अंश होने के कारण स्वयं आनन्दमय है। अतएव अपने आत्मस्वरूप को पहचानकर वह स्वयं में रमण करने वाला आत्माराम बन जाता है। देहवाद एवं भोगासक्ति द्वारा जिस छलनावृत्ति का जन्म होता है उसी के द्वारा वह दूसरों के स्थान पर स्वयं को ही छल रहा है। इसे वह नहीं जान पाता। रावण भी शांतिस्वरूपा श्रीसीताजी का अपहरण करते हुए इसी भ्रान्ति का आखेट हुआ। वह यही नहीं जान सका कि इस अपहरण में वह स्वयं का विनाश आमन्त्रित कर रहा है। श्रीसीताजी तो जगन्माता हैं। व्यक्ति को उनकी आराधना पुत्ररूप में करनी चाहिये। किन्तु दशेन्द्रियवादी भोगासक्त होने के कारण जगज्जननी के प्रति भी वही दृष्टि रखता है। वह यह नहीं जान पाता कि वास्तविक शांति भोगों के परित्याग में है, न कि उनके ग्रहण में।
View on Amazon View on AbeBooks View on Kobo View on B.Depository View on eBay View on Walmart
प्रत्येक व्यक्ति स्वयं अपने आपमें ही संघर्षरत है एक ओर यह दशेन्द्रियों में भोगासक्त होकर निरंतर विषयों का सुखानुभव कर रहा है। यही भोगासक्ति मूल रूप से परोत्पीड़न वृत्ति की जन्मदात्री है। दूसरी ओर जीव सच्चिदानंद ईश्वर का अंश होने के कारण स्वयं आनन्दमय है। अतएव अपने आत्मस्वरूप को पहचानकर वह स्वयं में रमण करने वाला आत्माराम बन जाता है। देहवाद एवं भोगासक्ति द्वारा जिस छलनावृत्ति का जन्म होता है उसी के द्वारा वह दूसरों के स्थान पर स्वयं को ही छल रहा है। इसे वह नहीं जान पाता। रावण भी शांतिस्वरूपा श्रीसीताजी का अपहरण करते हुए इसी भ्रान्ति का आखेट हुआ। वह यही नहीं जान सका कि इस अपहरण में वह स्वयं का विनाश आमन्त्रित कर रहा है। श्रीसीताजी तो जगन्माता हैं। व्यक्ति को उनकी आराधना पुत्ररूप में करनी चाहिये। किन्तु दशेन्द्रियवादी भोगासक्त होने के कारण जगज्जननी के प्रति भी वही दृष्टि रखता है। वह यह नहीं जान पाता कि वास्तविक शांति भोगों के परित्याग में है, न कि उनके ग्रहण में।

More books from Bhartiya Sahitya Inc.

Cover of the book Urvashi (Hindi Epic) by Shri Ram Kinkar Ji, श्री रामकिंकर जी
Cover of the book Goswami Tulsidas(Hindi Epic) by Shri Ram Kinkar Ji, श्री रामकिंकर जी
Cover of the book Premmurti Bharat (Hindi Religious) by Shri Ram Kinkar Ji, श्री रामकिंकर जी
Cover of the book Parashuram Samvad (Hindi Religious) by Shri Ram Kinkar Ji, श्री रामकिंकर जी
Cover of the book Pratigya (Hindi Novel) by Shri Ram Kinkar Ji, श्री रामकिंकर जी
Cover of the book Sugreev Aur Vibhishan (Hindi Religious) by Shri Ram Kinkar Ji, श्री रामकिंकर जी
Cover of the book Meri Kahania-Jaishankar Prasad-2(Hindi Stories) by Shri Ram Kinkar Ji, श्री रामकिंकर जी
Cover of the book Sambhavami Yuge Yuge-2 (Hindi Novel) by Shri Ram Kinkar Ji, श्री रामकिंकर जी
Cover of the book Kabirdas Ki Sakhiyan by Shri Ram Kinkar Ji, श्री रामकिंकर जी
Cover of the book Premchand Ki Kahaniyan-40 by Shri Ram Kinkar Ji, श्री रामकिंकर जी
Cover of the book Meri Kahaniyan-Ramdhari Singh Divakar (Hindi Stories) by Shri Ram Kinkar Ji, श्री रामकिंकर जी
Cover of the book Vijay, Vivek Aur Vibhuti (Hindi Religious) by Shri Ram Kinkar Ji, श्री रामकिंकर जी
Cover of the book Yuddh Aur Shanti-2 (Hindi Novel) by Shri Ram Kinkar Ji, श्री रामकिंकर जी
Cover of the book Premchand Ki Kahaniyan-23 by Shri Ram Kinkar Ji, श्री रामकिंकर जी
Cover of the book Chandrahaar (Hindi Drama) by Shri Ram Kinkar Ji, श्री रामकिंकर जी
We use our own "cookies" and third party cookies to improve services and to see statistical information. By using this website, you agree to our Privacy Policy