Author: | Gulshan Nanda, गुलशन नन्दा | ISBN: | 9781613013137 |
Publisher: | Bhartiya Sahitya Inc. | Publication: | February 17, 2014 |
Imprint: | Language: | Hindi |
Author: | Gulshan Nanda, गुलशन नन्दा |
ISBN: | 9781613013137 |
Publisher: | Bhartiya Sahitya Inc. |
Publication: | February 17, 2014 |
Imprint: | |
Language: | Hindi |
लिली-दुल्हन बनी एक सजे हुए कमरे में फूलों की सेज पर बैठी थी। सामने की खिड़की खुली थी। नीले आकाश पर तारे आंख-मिचौनी खेल रहे थे, परंतु उनके संकेतों को चंद्रमा की सुंदर चांदनी ने फीका कर दिया था। वह उठी और खिड़की के पास जा खड़ी हुई और बाहर की ओर देखने लगी। रात्रि के अंधकार में समुद्र के जल पर बिखरी चांदनी उसे बहुत ही भली लग रही थी। अचानक किसी के पांवों की आहट सुनाई दी। किसी ने धीरे-से कमरे में प्रवेश किया और दरवाजे में चिटकनी लगा दी। लिली संभली, शरमाई और मुंह दूसरी ओर फेरकर बाहर बिखरी हुई चांदनी को देखने लगी। आगन्तुक धीरे-धीरे पैर बढ़ाता लिली के समीप पहुंच गया। लिली ने लज्जा से सिर झुका लिया।
लिली-दुल्हन बनी एक सजे हुए कमरे में फूलों की सेज पर बैठी थी। सामने की खिड़की खुली थी। नीले आकाश पर तारे आंख-मिचौनी खेल रहे थे, परंतु उनके संकेतों को चंद्रमा की सुंदर चांदनी ने फीका कर दिया था। वह उठी और खिड़की के पास जा खड़ी हुई और बाहर की ओर देखने लगी। रात्रि के अंधकार में समुद्र के जल पर बिखरी चांदनी उसे बहुत ही भली लग रही थी। अचानक किसी के पांवों की आहट सुनाई दी। किसी ने धीरे-से कमरे में प्रवेश किया और दरवाजे में चिटकनी लगा दी। लिली संभली, शरमाई और मुंह दूसरी ओर फेरकर बाहर बिखरी हुई चांदनी को देखने लगी। आगन्तुक धीरे-धीरे पैर बढ़ाता लिली के समीप पहुंच गया। लिली ने लज्जा से सिर झुका लिया।