Chandrakanta Santati-4

चन्द्रकान्ता सन्तति-4

Mystery & Suspense, Historical Mystery
Cover of the book Chandrakanta Santati-4 by Devki Nandan Khatri, देवकी नन्दन खत्री, Bhartiya Sahitya Inc.
View on Amazon View on AbeBooks View on Kobo View on B.Depository View on eBay View on Walmart
Author: Devki Nandan Khatri, देवकी नन्दन खत्री ISBN: 9781613010297
Publisher: Bhartiya Sahitya Inc. Publication: April 28, 2012
Imprint: Language: Hindi
Author: Devki Nandan Khatri, देवकी नन्दन खत्री
ISBN: 9781613010297
Publisher: Bhartiya Sahitya Inc.
Publication: April 28, 2012
Imprint:
Language: Hindi
अब हम अपने पाठकों का ध्यान जमानिया के तिलिस्म की तरफ फेरते हैं, क्योंकि कुँअर इन्द्रजीतसिंह और आनन्दसिंह को वहाँ छोड़े बहुत दिन हो गये, और अब बीच में उनका हाल लिखे बिना किस्से का सिलसिला ठीक नहीं होता। हम लिख आये हैं कि कुँअर इन्द्रजीतसिंह ने तिलिस्मी किताब को पढ़कर समझने का भेद आनन्दसिंह को बताया, और इतने ही में मन्दिर के पीछे की तरफ से चिल्लाने की आवाज आयी। दोनों भाइयों का ध्यान एकदम उस तरफ चला गया, और फिर यह आवाज सुनायी पड़ी, ‘अच्छा-अच्छा, तू मेरा सर काट ले, मैं भी यही चाहती हूँ कि अपनी जिन्दगी में इन्द्रजीतसिंह और आनन्दसिंह को दुःखी न देखूँ। हाय इन्द्रजीतसिंह! अफसोस, इस समय तुम्हें मेरी खबर कुछ भी न होगी!’’ इस आवाज को सुनकर इन्द्रजीतसिंह बेचैन और बेताब हो गये और आनन्दसिंह से यह कहते हुए कि ‘कमलिनी की आवाज मालूम पड़ती है,’ मन्दिर के पीछे की तरफ की लपके। आनन्दसिंह भी उनके पीछे-पीछे चले गये।
View on Amazon View on AbeBooks View on Kobo View on B.Depository View on eBay View on Walmart
अब हम अपने पाठकों का ध्यान जमानिया के तिलिस्म की तरफ फेरते हैं, क्योंकि कुँअर इन्द्रजीतसिंह और आनन्दसिंह को वहाँ छोड़े बहुत दिन हो गये, और अब बीच में उनका हाल लिखे बिना किस्से का सिलसिला ठीक नहीं होता। हम लिख आये हैं कि कुँअर इन्द्रजीतसिंह ने तिलिस्मी किताब को पढ़कर समझने का भेद आनन्दसिंह को बताया, और इतने ही में मन्दिर के पीछे की तरफ से चिल्लाने की आवाज आयी। दोनों भाइयों का ध्यान एकदम उस तरफ चला गया, और फिर यह आवाज सुनायी पड़ी, ‘अच्छा-अच्छा, तू मेरा सर काट ले, मैं भी यही चाहती हूँ कि अपनी जिन्दगी में इन्द्रजीतसिंह और आनन्दसिंह को दुःखी न देखूँ। हाय इन्द्रजीतसिंह! अफसोस, इस समय तुम्हें मेरी खबर कुछ भी न होगी!’’ इस आवाज को सुनकर इन्द्रजीतसिंह बेचैन और बेताब हो गये और आनन्दसिंह से यह कहते हुए कि ‘कमलिनी की आवाज मालूम पड़ती है,’ मन्दिर के पीछे की तरफ की लपके। आनन्दसिंह भी उनके पीछे-पीछे चले गये।

More books from Bhartiya Sahitya Inc.

Cover of the book Nirmala (Hindi Novel) by Devki Nandan Khatri, देवकी नन्दन खत्री
Cover of the book Gulp Samuchchaya (Hindi Stories) by Devki Nandan Khatri, देवकी नन्दन खत्री
Cover of the book Jalti Chattan (Hindi Novel) by Devki Nandan Khatri, देवकी नन्दन खत्री
Cover of the book Haathi Ke Daant (Hindi Novel) by Devki Nandan Khatri, देवकी नन्दन खत्री
Cover of the book Premchand Ki Kahaniyan-09 by Devki Nandan Khatri, देवकी नन्दन खत्री
Cover of the book Premchand Ki Kahaniyan-33 by Devki Nandan Khatri, देवकी नन्दन खत्री
Cover of the book Begam Aur Gulaam (Hindi Novel) by Devki Nandan Khatri, देवकी नन्दन खत्री
Cover of the book Premchand Ki Kahaniyan-38 by Devki Nandan Khatri, देवकी नन्दन खत्री
Cover of the book Media Hu Mai(Hindi Journalism) by Devki Nandan Khatri, देवकी नन्दन खत्री
Cover of the book Premchand Ki Kahaniyan-06 by Devki Nandan Khatri, देवकी नन्दन खत्री
Cover of the book Premchand Ki Kahaniyan-26 by Devki Nandan Khatri, देवकी नन्दन खत्री
Cover of the book Unnati Ke Teen Gun Char Charan (Hindi Self-help) by Devki Nandan Khatri, देवकी नन्दन खत्री
Cover of the book Meri Kahaniyan-Ravindra Kaliya (Hindi Stories) by Devki Nandan Khatri, देवकी नन्दन खत्री
Cover of the book Meri Kahaniyan-Bhishm Sahani (Hindi Stories) by Devki Nandan Khatri, देवकी नन्दन खत्री
Cover of the book Waqt Ki Aawaj (Hindi Gazal) by Devki Nandan Khatri, देवकी नन्दन खत्री
We use our own "cookies" and third party cookies to improve services and to see statistical information. By using this website, you agree to our Privacy Policy