संवेदनाएं

Fiction & Literature, Poetry
Cover of the book संवेदनाएं by डॉ अवनीश सिंघल, Notion Press
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Author: डॉ अवनीश सिंघल ISBN: 9781948146524
Publisher: Notion Press Publication: December 20, 2017
Imprint: Notion Press Language: Hindi
Author: डॉ अवनीश सिंघल
ISBN: 9781948146524
Publisher: Notion Press
Publication: December 20, 2017
Imprint: Notion Press
Language: Hindi

संवेदनाएं जो इंसान और इंसानियत की विशेषता हैं। संवेदनाएं जिनसे इंसान अपनी पहचान बनाता भी है और मिटाता भी है।संवेदनाएं, जिन्हें हम संसार में अपने पद ,प्रतिष्ठा ,धन  व अहं के जाल में फंसकर ,अपने अंदर दफन कर देते हैं तो हम रिश्तों के प्यारे से संसार में अपने आप को बहुत अकेला और बेबस महसूस करते हैं । बचपन की सहजता  जो कि  हमेशा जीवित रहनी चाहिए  हम उसे अपने अंदर से मिटा कर बहुत जल्द बड़े हो जाते हैं ।इस काव्य संग्रह में उन संवेदनाओं को जीवित करने की कोशिश की है। जिसे महसूस कर, व अपनाकर आपके जीवन में ढेरों खुशियां व अपनेपन के मेले लग जाएंगे । मेरी शुभकामनायें ।
डॉ विकास सिंघल ( रेडियोलोजिस्ट )

कवि डॉक्टर अवनीश सिंघल का ये काव्य संग्रह मानवीय संबंधों को उजागर करता है ।आधुनिक समय की जटिलताओं ने मानवीय संबंधों को भी झकझोर डाला है । आत्मीयता और सहजता संबंधों में रही ही नहीं । कवि ने अपने संग्रह की एक कविता में लिखा है कि “ सिसकती हैं संवेदनाएं पर आँखें अश्कों से खाली “।मानव हृदय  मे इससे अधिक वेदना और क्या हो सकती है जब ये महसूस होने लगे ,जैसा की उन्होंने अपनी कविता में लिखा है “श्मशानों में है रौनक ,गली ख़ाली मौहल्ले खाली “। मानव जीवन में संबंधों व संबंधों में संवेदनाओं के स्थान को बखूबी बताने का प्रयास किया है । इस काव्य संग्रह के द्वारा समाज में एक संदेश भी जाता है ।यह उनकी प्रथम रचना है जिसकी अपार संभावनाएं हैं ।मेरी शुभकामनायें।
अल्का (लेखिका धुंधले मंजर व समाधिस्थ )

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संवेदनाएं जो इंसान और इंसानियत की विशेषता हैं। संवेदनाएं जिनसे इंसान अपनी पहचान बनाता भी है और मिटाता भी है।संवेदनाएं, जिन्हें हम संसार में अपने पद ,प्रतिष्ठा ,धन  व अहं के जाल में फंसकर ,अपने अंदर दफन कर देते हैं तो हम रिश्तों के प्यारे से संसार में अपने आप को बहुत अकेला और बेबस महसूस करते हैं । बचपन की सहजता  जो कि  हमेशा जीवित रहनी चाहिए  हम उसे अपने अंदर से मिटा कर बहुत जल्द बड़े हो जाते हैं ।इस काव्य संग्रह में उन संवेदनाओं को जीवित करने की कोशिश की है। जिसे महसूस कर, व अपनाकर आपके जीवन में ढेरों खुशियां व अपनेपन के मेले लग जाएंगे । मेरी शुभकामनायें ।
डॉ विकास सिंघल ( रेडियोलोजिस्ट )

कवि डॉक्टर अवनीश सिंघल का ये काव्य संग्रह मानवीय संबंधों को उजागर करता है ।आधुनिक समय की जटिलताओं ने मानवीय संबंधों को भी झकझोर डाला है । आत्मीयता और सहजता संबंधों में रही ही नहीं । कवि ने अपने संग्रह की एक कविता में लिखा है कि “ सिसकती हैं संवेदनाएं पर आँखें अश्कों से खाली “।मानव हृदय  मे इससे अधिक वेदना और क्या हो सकती है जब ये महसूस होने लगे ,जैसा की उन्होंने अपनी कविता में लिखा है “श्मशानों में है रौनक ,गली ख़ाली मौहल्ले खाली “। मानव जीवन में संबंधों व संबंधों में संवेदनाओं के स्थान को बखूबी बताने का प्रयास किया है । इस काव्य संग्रह के द्वारा समाज में एक संदेश भी जाता है ।यह उनकी प्रथम रचना है जिसकी अपार संभावनाएं हैं ।मेरी शुभकामनायें।
अल्का (लेखिका धुंधले मंजर व समाधिस्थ )

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