Sewasadan (Hindi Novel)

सेवासदन

Fiction & Literature, Psychological
Cover of the book Sewasadan (Hindi Novel) by Munshi Premchand, मुंशी प्रेमचन्द, Bhartiya Sahitya Inc.
View on Amazon View on AbeBooks View on Kobo View on B.Depository View on eBay View on Walmart
Author: Munshi Premchand, मुंशी प्रेमचन्द ISBN: 9781613011850
Publisher: Bhartiya Sahitya Inc. Publication: March 20, 2012
Imprint: Language: Hindi
Author: Munshi Premchand, मुंशी प्रेमचन्द
ISBN: 9781613011850
Publisher: Bhartiya Sahitya Inc.
Publication: March 20, 2012
Imprint:
Language: Hindi
नारी जाति की परवशता, निस्सहाय अवस्था, आर्थिक एवं शैक्षिक परतंत्रता, अर्थात् नारी दुर्दशा पर आज के हिन्दी साहित्य में जितनी मुखर चर्चा हो रही है; बीसवीं सदी के प्रारंभिक चरण में, गहरी जीवन दृष्टि और संवेदनशील सामाजिक सरोकार के रचनाकार, कथासम्राट प्रेमचंद (१८८०-१९३६) के यहाँ कहीं इससे ज्यादा मुखर थी। नारी जीवन की समस्याओं के साथ समाज के धर्माचार्यों, मठाधीशों, धनपतियों, सुधारकों के आडंबर, दंभ, ढोंग, पाखंड, चरित्रहीनता, दहेज-प्रथा, बेमेल विवाह, पुलिस की घूसखोरी, वेश्यागमन, मनुष्य के दोहरे चरित्र, सांप्रदायिक द्वेष आदि आदि सामाजिक विकृतियों के घृणित विवरणों से भरा उपन्यास सेवासदन (१९१६) आज भी समकालीन और प्रासंगिक बना हुआ है। इन तमाम विकृतियों के साथ-साथ यह उपन्यास घनघोर दानवता के बीच कहीं मानवता का अनुसंधान करता है। अतिरिक्त सुखभोग की अपेक्षा में अपना सर्वस्व गंवा लेने के बाद जब कथानायिका को सामाजिक गुणसूत्रों की समझ हो जाती है, तब वह किसी तरह दुनिया के प्रति उदार हो जाती है और उसका पति साधु बनकर अपने व्यतीत दुष्कर्मों का प्रायश्चित करने लगता है, जमींदारी अहंकार में डूबे दंपति अपनी तीसरी पीढ़ी की संतान के जन्म से प्रसन्न होते हैं, और अपनी सारी कटुताओं को भूल जाते हैंये सारी स्थितियां उपन्यास की कथाभूमि में इस तरह पिरोई हुई हैं कि तत्कालीन समाज की सभी अच्छाइयों बुराइयों का जीवंत चित्र सामने आ जाता है। हर दृष्टि से यह उपन्यास एक धरोहर है।
View on Amazon View on AbeBooks View on Kobo View on B.Depository View on eBay View on Walmart
नारी जाति की परवशता, निस्सहाय अवस्था, आर्थिक एवं शैक्षिक परतंत्रता, अर्थात् नारी दुर्दशा पर आज के हिन्दी साहित्य में जितनी मुखर चर्चा हो रही है; बीसवीं सदी के प्रारंभिक चरण में, गहरी जीवन दृष्टि और संवेदनशील सामाजिक सरोकार के रचनाकार, कथासम्राट प्रेमचंद (१८८०-१९३६) के यहाँ कहीं इससे ज्यादा मुखर थी। नारी जीवन की समस्याओं के साथ समाज के धर्माचार्यों, मठाधीशों, धनपतियों, सुधारकों के आडंबर, दंभ, ढोंग, पाखंड, चरित्रहीनता, दहेज-प्रथा, बेमेल विवाह, पुलिस की घूसखोरी, वेश्यागमन, मनुष्य के दोहरे चरित्र, सांप्रदायिक द्वेष आदि आदि सामाजिक विकृतियों के घृणित विवरणों से भरा उपन्यास सेवासदन (१९१६) आज भी समकालीन और प्रासंगिक बना हुआ है। इन तमाम विकृतियों के साथ-साथ यह उपन्यास घनघोर दानवता के बीच कहीं मानवता का अनुसंधान करता है। अतिरिक्त सुखभोग की अपेक्षा में अपना सर्वस्व गंवा लेने के बाद जब कथानायिका को सामाजिक गुणसूत्रों की समझ हो जाती है, तब वह किसी तरह दुनिया के प्रति उदार हो जाती है और उसका पति साधु बनकर अपने व्यतीत दुष्कर्मों का प्रायश्चित करने लगता है, जमींदारी अहंकार में डूबे दंपति अपनी तीसरी पीढ़ी की संतान के जन्म से प्रसन्न होते हैं, और अपनी सारी कटुताओं को भूल जाते हैंये सारी स्थितियां उपन्यास की कथाभूमि में इस तरह पिरोई हुई हैं कि तत्कालीन समाज की सभी अच्छाइयों बुराइयों का जीवंत चित्र सामने आ जाता है। हर दृष्टि से यह उपन्यास एक धरोहर है।

More books from Bhartiya Sahitya Inc.

Cover of the book Premmurti Bharat (Hindi Religious) by Munshi Premchand, मुंशी प्रेमचन्द
Cover of the book Meri Kahania-Jaishankar Prasad-2(Hindi Stories) by Munshi Premchand, मुंशी प्रेमचन्द
Cover of the book Gupt Dhan-2 (Hindi Stories) by Munshi Premchand, मुंशी प्रेमचन्द
Cover of the book Kusum Kumari (Hindi Novel) by Munshi Premchand, मुंशी प्रेमचन्द
Cover of the book Bhaj Govindam (Hindi Prayer) by Munshi Premchand, मुंशी प्रेमचन्द
Cover of the book Meri Kahaniyan-Mohan Rakesh by Munshi Premchand, मुंशी प्रेमचन्द
Cover of the book Vaapsi (Hindi Novel) by Munshi Premchand, मुंशी प्रेमचन्द
Cover of the book Panchtantra (Hindi Stories) by Munshi Premchand, मुंशी प्रेमचन्द
Cover of the book Bhagwan Mahavir Ki Vani (Hindi Wisdom Bites) by Munshi Premchand, मुंशी प्रेमचन्द
Cover of the book Naacho Jivan Hai Naach (Hindi wisdom bites) by Munshi Premchand, मुंशी प्रेमचन्द
Cover of the book Avtaran (Hindi Novel) by Munshi Premchand, मुंशी प्रेमचन्द
Cover of the book Premchand Ki Kahaniyan-39 by Munshi Premchand, मुंशी प्रेमचन्द
Cover of the book Ramprasad Bismil Ki Aatmakatha (Hindi Autobiogrphy) by Munshi Premchand, मुंशी प्रेमचन्द
Cover of the book Sachcha Sukh (Hindi Self-help) by Munshi Premchand, मुंशी प्रेमचन्द
Cover of the book Kabirdas Ki Sakhiyan by Munshi Premchand, मुंशी प्रेमचन्द
We use our own "cookies" and third party cookies to improve services and to see statistical information. By using this website, you agree to our Privacy Policy