Bade Ghar Ki Beti (बड़े घर की बेटी)

Kids, Teen, Short Stories, Fiction & Literature, Classics
Cover of the book Bade Ghar Ki Beti (बड़े घर की बेटी) by Premchand, General Press
View on Amazon View on AbeBooks View on Kobo View on B.Depository View on eBay View on Walmart
Author: Premchand ISBN: 9788180320637
Publisher: General Press Publication: August 1, 2015
Imprint: Global Digital Press Language: Hindi
Author: Premchand
ISBN: 9788180320637
Publisher: General Press
Publication: August 1, 2015
Imprint: Global Digital Press
Language: Hindi

बेनीमाधव सिंह गौरीपुर गाँव के ज़मींदार और नम्बरदार थे। उनके पितामह किसी समय बड़े धन-धान्य सम्पन्न थे। गाँव का पक्का तालाब और मंदिर, जिनकी अब मरम्मत भी मुश्किल थी, उन्हीं के कीर्ति-स्तम्भ थे। कहते हैं, इस दरवाज़े पर हाथी झूमता था, अब उसकी जगह एक बूढ़ी भैंस थी, जिसके शरीर में अस्थि-पंजर के सिवा और कुछ न रहा था, पर दूध शायद बहुत देती थी, क्योंकि एक न एक आदमी हाँड़ी लिये उसके सिर पर सवार ही रहता था। बेनीमाधव सिंह अपनी आधी से अधिक सम्पत्ति वकीलों को भेंट कर चुके थे। उनकी वर्तमान आय एक हज़ार रुपये वार्षिक से अधिक न थी। ठाकुर साहब के दो बेटे थे। बड़े का नाम श्रीकण्ठ सिंह था। उसने बहुत दिनों के परिश्रम और उद्योग के बाद बी.ए. की डिग्री प्राप्त की थी। अब एक दफ़्तर में नौकर था। छोटा लड़का लालबिहारी सिंह दोहरे बदन का, सजीला जवान था। भरा हुआ मुखड़ा, चौड़ी छाती। भैंस का दो सेर ताज़ा दूध वह उठ कर सवेरे पी जाता था। श्रीकण्ठ सिंह की दशा बिल्कुल विपरीत थी। इन नेत्रप्रिय गुणों को उन्होंने ‘बी.ए.’इन्हीं दो अक्षरों पर न्योछावर कर दिया था। इन दो अक्षरों ने उनके शरीर को निर्बल और चेहरे को कान्तिहीन बना दिया था। इसी से वैद्यक ग्रंथों पर उनका विशेष प्रेम था। आयुर्वेदिक औषधियों पर उनका अधिक विश्वास था! शाम-सवेरे उनके कमरे से प्राय: खरल की सुरीली कर्णमधुर ध्वनि सुनाई दिया करती थी। लाहौर और कलकत्ते के वैद्यों से बड़ी लिखा-पढ़ी रहती थी।

प्रेमचंद की मशहूर कहानियाँ (Search the book by ISBN)

  1. ईदगाह (ISBN: 9788180320606)

  2. पूस की रात (ISBN: 9788180320613)

  3. पंच-परमेश्वर (ISBN: 9788180320620)

  4. बड़े घर की बेटी (ISBN: 9788180320637)

  5. नमक का दारोगा (ISBN: 9788180320651)

  6. कजाकी (ISBN: 9788180320644)

  7. गरीब की हाय (ISBN: 9788180320668)

  8. शतरंज के खिलाड़ी (ISBN: 9788180320675)

  9. सुजान भगत (ISBN: 9788180320729)

  10. रामलीला (ISBN: 9788180320682)

  11. धोखा (ISBN: 9788180320699)

  12. जुगनू की चमक (ISBN: 9788180320736)

  13. बेटों वाली विधवा (ISBN: 9788180320743)

  14. दो बैलों की कथा (ISBN: 9788180320750)

  15. बड़े भाई साहब (ISBN: 9788180320705)

  16. घरजमाई (ISBN: 9788180320767)

  17. दारोगाजी (ISBN: 9788180320774)

  18. कफ़न (ISBN: 9788180320781)

  19. बूढ़ी काकी (ISBN: 9788180320798)

  20. दो भाई (ISBN: 9788180320712)

View on Amazon View on AbeBooks View on Kobo View on B.Depository View on eBay View on Walmart

बेनीमाधव सिंह गौरीपुर गाँव के ज़मींदार और नम्बरदार थे। उनके पितामह किसी समय बड़े धन-धान्य सम्पन्न थे। गाँव का पक्का तालाब और मंदिर, जिनकी अब मरम्मत भी मुश्किल थी, उन्हीं के कीर्ति-स्तम्भ थे। कहते हैं, इस दरवाज़े पर हाथी झूमता था, अब उसकी जगह एक बूढ़ी भैंस थी, जिसके शरीर में अस्थि-पंजर के सिवा और कुछ न रहा था, पर दूध शायद बहुत देती थी, क्योंकि एक न एक आदमी हाँड़ी लिये उसके सिर पर सवार ही रहता था। बेनीमाधव सिंह अपनी आधी से अधिक सम्पत्ति वकीलों को भेंट कर चुके थे। उनकी वर्तमान आय एक हज़ार रुपये वार्षिक से अधिक न थी। ठाकुर साहब के दो बेटे थे। बड़े का नाम श्रीकण्ठ सिंह था। उसने बहुत दिनों के परिश्रम और उद्योग के बाद बी.ए. की डिग्री प्राप्त की थी। अब एक दफ़्तर में नौकर था। छोटा लड़का लालबिहारी सिंह दोहरे बदन का, सजीला जवान था। भरा हुआ मुखड़ा, चौड़ी छाती। भैंस का दो सेर ताज़ा दूध वह उठ कर सवेरे पी जाता था। श्रीकण्ठ सिंह की दशा बिल्कुल विपरीत थी। इन नेत्रप्रिय गुणों को उन्होंने ‘बी.ए.’इन्हीं दो अक्षरों पर न्योछावर कर दिया था। इन दो अक्षरों ने उनके शरीर को निर्बल और चेहरे को कान्तिहीन बना दिया था। इसी से वैद्यक ग्रंथों पर उनका विशेष प्रेम था। आयुर्वेदिक औषधियों पर उनका अधिक विश्वास था! शाम-सवेरे उनके कमरे से प्राय: खरल की सुरीली कर्णमधुर ध्वनि सुनाई दिया करती थी। लाहौर और कलकत्ते के वैद्यों से बड़ी लिखा-पढ़ी रहती थी।

प्रेमचंद की मशहूर कहानियाँ (Search the book by ISBN)

  1. ईदगाह (ISBN: 9788180320606)

  2. पूस की रात (ISBN: 9788180320613)

  3. पंच-परमेश्वर (ISBN: 9788180320620)

  4. बड़े घर की बेटी (ISBN: 9788180320637)

  5. नमक का दारोगा (ISBN: 9788180320651)

  6. कजाकी (ISBN: 9788180320644)

  7. गरीब की हाय (ISBN: 9788180320668)

  8. शतरंज के खिलाड़ी (ISBN: 9788180320675)

  9. सुजान भगत (ISBN: 9788180320729)

  10. रामलीला (ISBN: 9788180320682)

  11. धोखा (ISBN: 9788180320699)

  12. जुगनू की चमक (ISBN: 9788180320736)

  13. बेटों वाली विधवा (ISBN: 9788180320743)

  14. दो बैलों की कथा (ISBN: 9788180320750)

  15. बड़े भाई साहब (ISBN: 9788180320705)

  16. घरजमाई (ISBN: 9788180320767)

  17. दारोगाजी (ISBN: 9788180320774)

  18. कफ़न (ISBN: 9788180320781)

  19. बूढ़ी काकी (ISBN: 9788180320798)

  20. दो भाई (ISBN: 9788180320712)

More books from General Press

Cover of the book The Heavenly Life by Premchand
Cover of the book Gita According to Gandhi by Premchand
Cover of the book Memory by Premchand
Cover of the book Through the Looking-Glass by Premchand
Cover of the book When I Found You... I Found Myself by Premchand
Cover of the book Great German Short Stories by Premchand
Cover of the book The Seven Laws of Teaching by Premchand
Cover of the book Tales from India by Premchand
Cover of the book The Little Prince by Premchand
Cover of the book Because…every raindrop is a HOPE by Premchand
Cover of the book The Girl I Last Loved by Premchand
Cover of the book The Light of Asia by Premchand
Cover of the book The Autobiography of Mark Twain by Premchand
Cover of the book Gravity by Premchand
Cover of the book Bon Voyage by Premchand
We use our own "cookies" and third party cookies to improve services and to see statistical information. By using this website, you agree to our Privacy Policy